फिर मरते देखा..

0 0
Read Time1 Minute, 51 Second
harpreet
रिश्तों के गुलों को घर के कोनों में पड़े देखा,
आज मैंने तहज़ीब को फिर मरते देखा।
देखा आज अलग-अलग-सी बिकती खुशबूओं को,
एक ही फूल को मंदिर और रंगीन बाजार में बिकते देखा।
तू-मैं-हम सिर्फ औऱ सिर्फ एक छलावा सा है सुन ले दुनिया,
बड़े-बड़े सिकंदरों को आज खाक में मिलते देखा।
ऊँचे पढ़े-लिखे लोग न जाने कौन-से मुखौटे लिए घूम रहे,
आज इन्हीं के हाथों शिकार मासूमों को देखा।
रब्ब,अल्लाह,ईश्वर मेरे गुनाह बख्श तेरे दर न आने के लिए,
तेरे ही दर के बाहर भूख से मरते आज लोगों को देखा।
मेहबूब के वादों को बदलते देखा, पीकदान में पड़े खतों को देखा,
रिश्तो,मायनो,एहसासों,खुद्दारी को बंद दीवारों में बदलते देखा।
मैंने तहज़ीब को आज फिर मरते देखा….॥

                                                                            #हरप्रीत कौर

परिचय : मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहने वाली हरप्रीत कौर कॊ लेखन और समाजसेवा का बेहद शौक है।आपने   स्नातकोत्तर की पढ़ाई समाजकार्य में ही की है। कई एनजीओ के साथ मैदानी काम भी किया है। आपकी उपलब्धि यही है कि,2015 में महिला दिवस पर इंदौर की 100 महिलाओं में इन्हें भी समाजकार्य हेतु सम्मानित किया गया है। आप वर्तमान में महिला हिंसा के विरुद्ध कार्यरत हैं तो,कौशल विकास कार्यकम तथा जनजागरूकता के  कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

एक शिखण्डी चाहिए

Wed Jul 5 , 2017
आज जीने के लिए, इक शिखण्डी चाहिए॥ औंधे मुंह है रुढ़ियां धूल भरी है आँख, चिकना खीरा रो रहा भीतर  देखे फाँक। इक नए संधान को, बस रणचंडी चाहिए॥ बन्दूकी आग डर रही उछले कंकड़-पत्थर, भूख करे गंधर्व गान भरे नोट मुह शंकर॥ आत्मरक्षा कर लिए, एक  बन्दी चाहिए॥ फटा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।