कविता- संक्षिप्त राम-कथा

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राम नाम की महिमा न्यारी
राम-कथा कहें हम प्यारी
वाल्मीकि ने कही अनूठी
तुलसी कहें मन को छूती
कहें आज हम अपनी वाणी
कहें राम-कथा हम न्यारी
जय सियाराम, जय सियाराम।

कौशल्या-दशरथ के आँगन
मनुज रूप धर आए राम
त्याग अपना बैकुंठ धाम
बालक बन खेले प्रभु राम
घुटुरुनि चलें दशरथ के राम
देख-देख हर्षित माताएँ
कौशल्या संग गावै गान
जय सियाराम, जय सियाराम।

गुरु वशिष्ठ से पाकर ज्ञान
महलों को लौटे हैं राम
विश्वामित्र ऋषि तब आए
यज्ञ रक्षा को ले गए राम
वन मार्ग में ताड़का मारी
प्रभु चरणों ने अहिल्या तारी
पहुँचे मिथिला सलौने राम
स्वयंवर में तोड़ा शिव-धनु
पाए जनक-नंदिनी श्री राम
बजे बाजे, बाजे शहनाई
तब बन वधू सीता जी आईं
राम बने सियापति राम
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

फिर राज्याभिषेक का शुभ दिन आया
चहुँ ओर दृश्य मनोहर छाया
वेद ऋचाओं से था गुंजित
अतिथियों की महिमा से मंडित
सुमन-सुगंध से था वह सुरभित
कौशल्या का आँगन गर्वित
मंथरा ने भरे कैकेयी के कान
कैकेयी ने माँगे दो वरदान
और हुआ राम को वनवास
देखो यही था विधि क्या विधान
सीता और अनुज लक्ष्मण संग
वनगमन किए भगवान
ऐसे न्यारे प्यारे श्रीे राम
ऐसे हैं पुरुषोत्तम श्री राम
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

चौदह बरस की लंबी अवधि
भटके वन-वन राजा राम
गुह निषाद संग धर बंधु भाव
राम बने जन-जन के राम
केवट की नैया चढ़कर,
तारे-तरे गंगा पार
भक्त-भगवान की ये कैसी प्रीति
झूठे बेर खिलाती शबरी
फिर किया असुरों का संहार
और ऋषियों का परित्राण
ऐसे भक्त वत्सल श्री राम
जय सियाराम, जय सियाराम।

तभी आया दुस्साहसी रावण
किया सीता माँ का अपहरण
पुष्पक यान से ले गया वो पापी
जनकसुता रोती-चिल्लाती
पर्ण-कुटी को सूना पाकर
सीता को फिर वहाँ न पाकर
प्रिया खोज में निकले राम
हे खग! हे मृग! मधुकर श्रेणी!
तुम देखी सीता मृगनयनी
ऐसे सहज-सरल श्री राम
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

फिर मिले उन्हें सखा सुग्रीव,
परम दास, बंधु हनुमान
की सबने मिल सीता की खोज
अशोक वाटिका पहुँचे हनुमान
सोने की नगरी लंका को
जारा शक्ति-तप और बल से
ऐसी पापी स्वर्णपुरी में
दशानन के अनुज, सहोदर
राम नाम जपते विभीषण
बने राम सखा अगले क्षण
राम ने उनको गले लगाया
अपना अनुज-बंधु बनाया
ऐसे उदार-सहृदय राम
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

मित्रों, सखा व बंधुओं ने
सेना एक विशाल बनाई
सेनापति बने जामवंत
और रामदूत बने अंगद
पहुँचे लंकापति के सम्मुख
पर लंकापति ने न मानी बात
राम-रावण का युद्ध हुआ फिर
घनघोर युद्ध, घनघोर युद्ध
घनघोर युद्ध हुआ वहाँ भाई
दुष्ट दशानन हुआ धराशायी
श्री राम ने विजय श्री पाई
देवों ने दी बहुत बधाई
आकाश से पुष्प-वर्षा कराई
ऐसे धीर-वीर श्री राम
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

सबके प्यारे राजा राम
संग सीता, लखन, हनुमान
पधारे अयोध्या राजा राम
सबने जलाए घी के दीप
सबने गाए मंगल-गीत
आए हमारे राजा राम
जन-जन के प्यारे जय श्री राम
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

राम नाम बड़ा सुखदायी
मिल कर हम सब बोलें भाई
जय सियाराम, जय-जय सियाराम।

#यशोधरा भटनागर
देवास

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।