भ्रूण बेटी हत्या..

0 0
Read Time3 Minute, 18 Second
hema
कुछ दिन पूर्व ही पढ़ा था किसी अखबार के पन्ने पर कि-एक दंपत्ति की शादी के बाद लगातार तीन बेटियां हुई और इस बार पिता को डर लग रहा था कि कहीं फिर से उसको एक बेटी और न…….
इसलिए पिता परीक्षण केन्द्र पहुंचा और पत्नी को डॉक्टर को दिखाता है,जिस पर डॉक्टर ने कहा-यह बेटी है। इतना सुनते ही पिता ने डॉक्टर को आदेश दिया,पर डॉक्टर ने बहुत मना किया। इस पर उस पिता ने पैसे का लालच दिया और बेटे की ख्वाहिश जताई l
इस बात पर वह बेटी क्या कह रही है अपने पिता से-एक बेटी की तरफ से…
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कर दिया !
जन्म से पहले ही क्यों विदा कर दिया?
कोई हक न दिया,
कोई हक न लिया
मेरे आने का कर्जा अदा कर दिया,
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कर दिया।
पालना न  दिया,
प्यार भी न  दिया
पंख लगने से पहले उड़ा क्यों  दिया
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कर दिया?
ऐसा लगता है तुमको खबर लग गई,
मां के आंचल में ही मेरी कबर बन गई
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कर दिया?
मैं हूं बेटी तेरी,
तू पिता है मेरा
डोली उठने से पहले कफन क्यों दिया?
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कर दिया
मुझको दो जिंदगी,
बनूंगी डॉक्टर बड़ी
जब तुम अपने कदम से चल नहीं पाओगे
तब मेरा हाथ तुमको ही काम आएगा।
क्यों मेरी जिंदगी का सौदा कर दिया,
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कर दिया ?
रोग मन का है ये,
दूर कर लो इसे
बेटी,बेटों से कोई है कमतर नहीं,
मेरे बाबुल ये तुमने क्या कह दिया?
                                                                               #हेमा श्रीवास्तव
परिचय :हेमा श्रीवास्तव ‘हेमा’ नाम से लिखने के अलावा प्रिय कार्य के रुप में अनाथ, गरीब व असहाय वर्ग की हरसंभव सेवा करती हैं। २७ वर्षीय हेमा का जन्म स्थान ग्राम खोचा( जिला इलाहाबाद) प्रयाग है। आप हिन्दी भाषा को कलम रुपी माध्यम बनाकर गद्य और पद्य विधा में लिखती हैं। गीत, ‘संस्मरण ‘निबंध’,लेख,कविता मुक्तक दोहा, रुबाई ‘ग़ज़ल’ और गीतिका रचती हैं। आपकी रचनाएं इलाहाबाद के स्थानीय अखबारों और ई-काव्य पत्रिकाओं में भी छपती हैं। एक सामूहिक काव्य-संग्रह में भी रचना प्रकाशन हुआ है।

ई-पत्रिका की सह संपादिका होकर पुरस्कार व सम्मान भी प्राप्त किए हैं। इसमें सारस्वत सम्मान खास है। लेखन  के साथ ही गायन व चित्रकला में भी रुचि है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सद्यः स्नाता

Wed Jul 5 , 2017
  नील सरोरुह बीच खड़ी। मणि,मुक्ता,माणिक की सी लड़ी॥ दीप्त वर्ण सुवर्ण चरी। नव कली भांति आभा निखरी॥ पुष्पभारनमिता कमणी। सद्यः स्नाता कमसिन रमणी॥ जब केशराशि लहराती है। ऐसा आभास कराती है॥ ज्यों नील गगन से श्यामा बदली। मानो बूंदें बरसाती है॥                 […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।