महामानव

0 0
Read Time2 Minute, 41 Second
annapurna
ओ मानव
तुम्हें क्या चाहिए….,
शायद तुम
खुशी ढूंढ़ते हो…
दूसरो को रुलाकर,सताकर,
दुख पहुंचाकर,अपने शब्दों से निरावृत कर-
माँ-बहनों को सड़कों पर लाकर,
तुम खुशी ढूंढ़ते हो….।
पर,
नहीं….नहीं….,
कर लो यकीं..
खुशी यहाँ है नहीं।
किसी दर्दे दिल की दवा
बनकर तो देखो……।
असहायों की दुआ
बनकर तो देखो…।
बच्चों के होंठों की मुस्कान,
माँ-बहनों के विश्वास और खुशियों पर
परवान चढ़कर तो देखो
कितनी खुशी मिलती है….!
जब तुम शुभ कर्मों से-
अपना सुखद-
भविष्य लिखते हो..।
माँ की आँखों में ममता,
पिता के चेहरे पर
आश्वासन बन खिलते हो…,
कितनी खुशी मिलती है।
तुम मानव हो-
जिस रूप में जन्म लेने हेतु
ईश्वर भी स्वर्ग छोड़-
धरा पर आते हैं।
राम,कृष्ण,बुद्ध,गाँधी और
न जाने कितने ही रूपों में-
मनसा,वाचा,कर्मणा,
पृथ्वी को कृत-कृत्य कर जाते हैं।
एक-एक शब्द उनके,
जो ऋचाएँ बन जाती हैं।
और उनके कर्तव्य जो
साधारण होते हुए भी,
असाधारण और वरेण्य ,
बन जाते हैं।
मानव,
मन से बना है-
जो अपने मन पर शासन करे-
नियंत्रित रखे-
मानवोपेक्षित कर्म करे-
वह मानव  है।
जो मन के अधीन हो
अनपेक्षित रूपों में-
मन,कर्म वचन से-
मानवता को रक्तरंजित करे
क्या वह  मानव  है?
नहीं कदापि नहीं……।
तुम अपने ही-
कर्म,वचन और सोचों से
अपने,
और फिर अपने परिवेश एवं संस्कार का
परिचय देते हो….।
असंख्य अभिशाप और
बद्दुआएँ लेते हो….।
वह शब्द,वह हरकतें,जो सदा
मानवता के लिए-
गाली है।
उन बातों को तो तूने ,
अब तक,
बड़े जतन से संभाली है।
ओ नई पौध,
नई सोच-नई उमंग,
पहचानो…..
खुशी,प्रेम,मानवता और सत्य का
सही रूप….।
तुम ऐसा कर सकते हो…।
खुद को बदल सकते हो…।
अपनें अंदर में छिपे-
मानव को जगाकर तुम,
महामानव बन सकते हो॥
                                                                     #डॉ.अन्नपूर्णा श्रीवास्तव
 परिचय : डॉ.अन्नपूर्णा श्रीवास्तव लेखन में  कविता,कहानी,ग़ज़ल माता के आगमन-विसर्जन के गीत भजन  निबंध आदि लिखती हैं। आप लगभग सभी विधाओं में सृजन करती हैं। आप बिहार से हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अजीब दौर है..

Mon Jul 3 , 2017
किसी ने देखा नहीं अस्ल में चेहरा अपना, सबको एजाज़ दिखाता है आइना अपना। मज़ीद सरफिरे लोगों ने बना ली सरहद, भूलकर आदमी से आदमी रिश्ता अपना। फैसले क्या है हमारी ही कम ख्याली है, हमने तो सोचा नहीं खुद कभी सोचा अपना। वो भी अब नुक्ताचीं हो गए बुलंदी […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।