ओ मानव तुम्हें क्या चाहिए…., शायद तुम खुशी ढूंढ़ते हो… दूसरो को रुलाकर,सताकर, दुख पहुंचाकर,अपने शब्दों से निरावृत कर- माँ-बहनों को सड़कों पर लाकर, तुम खुशी ढूंढ़ते हो….। पर, नहीं….नहीं…., कर लो यकीं.. खुशी यहाँ है नहीं। किसी दर्दे दिल की दवा बनकर तो देखो……। असहायों की दुआ बनकर तो […]