शिक्षक तो हैं जग में महान,
इन बिन चले नहीं यह इंसान।
शिक्षक ही देते ज्ञानरुपी उजाला,
ज्ञानरुपी दीप जला,करे जग रोशन सारा।
यही हैं ज्ञान-विज्ञान के निर्माता,
यही हैं सारे जग के भाग्य विधाता।
शिक्षक तो हैं जग में महान,
इन बिन चले नहीं यह इंसान।
यही हैं विजय पथ दिखने वाले,
यही हैं ज्ञान से जगत भ्रमण कराने वाले।
शिक्षक हैं ज्ञानरूपी भगवान,
इन बिन चले नहीं सारा जहान।
शिक्षक तो हैं जग में महान,
इन बिन चले नहीं यह इंसान।
शिष्यों का ज्ञान और संस्कार,
यही है इनका महान अविष्कार।
शिक्षक हैं जगत रुपी ज्ञान के आधार,
इन बिन सारा जग हैं निराधार ।
शिक्षक तो हैं जग में महान,
इन बिन चले नहीं यह इंसान।
शिष्य दीया ,तो गुरु उसका तेल हैं,
शिष्य बाती तो गुरु आग-सा मेल हैं।
शिक्षक ज्ञान का दीप जलाकर,
करे सारे जग का नव निर्माण।
शिक्षक तो हैं जग में महान,
इन बिन चले नहीं यह इंसान।
#देवराज एसएल दाँगी
परिचय : देवराज एसएल दाँगी पत्रकारिता से जुड़े होकर एक पत्रिका के सम्पादक हैंl
आप सोनकच्छ(तहसील नरसिंहगढ़,जिला राजगढ़) के मूल निवासी हैं और अभी
इंदौर(मप्र) में रहते हैंl बी.काॅम. की पढ़ाई देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से करते हुए
समाजसेवा में भीम लगे हैंl वीर रस में रचना लेखन आपकी पसंद हैl
THanks matrubhashaa.Com
no.one poem …..शिक्षक कविता बहुत ही सुदंर रचना है ।इसके लिए बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ ।
मातृभाषा डाट काॅम की संस्थापक टीम को बहुत बहुत बधाई जिन्होंने हिंदी भाषा के बचाव हेतु एक नया मंच भाषा प्रेमियों को दिया ।
Good representation of students and teacher