मेरी हर शाम उदास…

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rishabh radhe
सच तो ये है मेरी हर शाम उदास होती है,
अकेले में भी तुम्हारी यादें पास  होती हैl
एकांत की बात तो चलो दूसरी है साथी,
भीड़ में तन्हाई  मेरे आस-पास होती हैl
मुद्दतों से फिर रहा हूँ उस मंजिल की चाह में,
मगर वो मंजिल दूर होकर भी मेरे पास होती हैl
आने लगती है मुझे हिचकियां जब कभी,
वो चाहती है मुझे,दिल में एक आस होती हैl
खोजते-खोजते मुद्दतें गुजर गई लगता है,
काक बोले तो तेरे मिलन की आस होती हैl
छूती है जब पवन मुझको तब सुकून मिलता है,
ये पवन भी तेरी छुअन की  तरह  खास होती हैl
मन्नते मांगी है मैंने उस रब से तेरे आने की खातिर,
क्योंकि ‘महक’ तेरे बिन हर गली उदास होती हैl
लौट आओ तुम ‘ऋषभ’ का दिल नहीं लगता है,
सच कहता मुझे हर पल तुम्हारी तलाश होती हैl
                                                                                                           #ऋषभ तोमर(राधे)

परिचय : ऋषभ तोमर(राधे) मध्यप्रदेश के शहर अम्बाह (जिला मुरैना) में रहते हैंl इनकी आयु २० वर्ष है,और लिखने का शौक रखते हैंl 

matruadmin

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