जिन्दगी

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जीवन का सफर
ही एक जिन्दगी है,
जन्म से मुत्यु तक
जीवन का सफर
चलता रहता है।
टेढ़े-मेढ़े रास्तों से
होकर गुजरता है,
सुख-दुःख यहाँ
पल-पल में आते
जाते,बदलते हैं।
मोह माया भरी
ये जिन्दगी चलती है,
गरीबी अमीरी की
करवट बदलती है,
बचपन,जवानी
बुढ़ापा ये हर किसी
में आता ही रहता है,
हर मुश्किल का भी
सामना करना पड़ता है।
कोई कहता है
भाग्य में जो होगा,
वह सभी को मिलता है
कोई कहता है
कर्म करो,भाग्य
भी बदल जाता है,
कौन जानता है
किसके भाग्य में
क्या-क्या लिखा है
और क्या कर्म करने
से क्या बदला है।
ये भाग्य और कर्म
का कुछ समझ
नहीं आता है,
हाँ,ईश्वर भगवान है
ये तो जानता हूँ,
भगवान को मानता हूँ
दिल से,मन से हर
प्रकार से भगवान को
हमेशा ही मानता हूँ।
जिन्दगी जीने में,हर
पल हर कदम उसका
सहारा मिलता है,
तभी,सभी की
जिन्दगी का हर
पल आगे बढ़ता है।

                                                                                 #अनन्तराम चौबे

परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी  कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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