गीत

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sunil choure
हाथ पकड़ कर थाम के दामन,
मुझको पार लगा दिया..
प्यार-व्यार क्या जानूं मैं
मुझको प्यार सिखा दिया।
कितने रिश्ते आए,
किसी को न भाया..
वजह केवल इतनी-सी थी
दुबला-पतला ठहरा मैं,
दुबली-पतली काया..
    या
फिर गरीब था मैं,
पास नहीं थी माया
धन्य-धन्य हो तुम प्रिये,
साथ तुम्हारे नाम मेरा,
देखो तुमने जुड़ा लिया
हाथ पकड़ कर थाम के दामन,
मुझको प्यार….।
पल-पल,हर पल,
तुम नजरो में रखती
अवाक रह जाता मैं,
देख तुम्हारी भक्ति,
मैं कमजोर भले ही हूँ
पर तुम हो मेरी शक्ति
ज्योति के बिन,
अधूरा होता देखो एक दिया ,
हाथ पकड़ कर थाम के दामन,
मुझको पार लगा दिया।
कोयल कूक रही,
भँवरे गुंजन करते
हरी भरी धरती पर,
मयूरा नृत्य करते,
हंस-हंसिनी इतराते
मुझको खूब चिढ़ाते,
रह-रहकर आते वर्षा के-
देखो सेरे,
सब कोई है आज यहाँ,
पर साथ नहीं वे मेरे,
हार गया है मेरा मन
कैसे उसको जीतूं,
मन को ठंडक दे न पाई
देखो वर्षा ऋतु,
खूब भिगोया वर्षा ने,
पर मन को हिला दिया।
हाथ पकड़ कर थाम के दामन,
मुझको पार लगा दिया..
प्यार-व्यार क्या जानूं..
मुझको प्यार सिखा दिया।
                                                                                          #सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा 
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में  ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।