कविता

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sunita

आ गए हैं मेघ काले,

छा गए हैं मेघ काले

गड़गड़ाते,थरथराते,

भा गए हैं मेघ काले।l

 

नाचने तरुवर लगे हैं,

इस हवा को पर लगे हैं

देख कर नादान पंछी,

लौटने अब घर लगे हैं।

 

रोशनी अब खो गई है,

रात काली हो गई है

छुप गया है चाँद भी ये,

चाँदनी अब सो गई है।

 

जीव हैं भयभीत सारे,

कुछ लबों पर गीत प्यारे

ये धरा इन बादलों के,

सब समझती है इशारे।

 

लग रहा है आज अम्बर,

ज्यों उमड़ता-सा समन्दर

उठ चली चंचल हिलोरें,

आ रहे जैसे बवंडर।

#सुनीता काम्बोज

परिचय : १९७७ में जन्मीं सुनीता काम्बोज जिला-करनाल(हरियाणा)से हैंl। आप ग़ज़ल,छंद,गीत,हाइकु,बाल गीत,भजन एवं हरयाणवी भाषा में भी लिखती हैं। शिक्षा हिन्दी और इतिहास में परास्नातक हैं।`अनुभूति`काव्य संग्रह प्रकशित हो चुका है toब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर कविताओं और ग़ज़लों का प्रकाशन होता है। आपकी कविताओं की प्रस्तुति डीडी दूरदर्शन पंजाबी एवं अन्य हिन्दी  कवि दरबार में भी हुई है। आपका संपर्क स्थल पंजाब और स्थाई पता गाँव रत्नगढ़(पोस्ट–दामला)जिला यमुनानगर(हरियाणा)है।

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।