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सोलह-सोलह पर लिखो,
चार चरण धर ध्यान।
चौपाई का है यही,
मित्रों छंद विधान॥
सोलह से तुम चरण सजाओ।
चौपाई मिल सभी रचाओ॥
जगण-तगण अंत नहीं लाना।
चल विधान पर छंद रचाना॥
दो लघुओं संग गुरू को रखना।
उचित अंत को समझो रसना॥
चौपाई के साथ में,
है दोहा का मेल।
मिल जाते जब संग ये,
तब बाकी सब फैेल॥
#नवीन श्रोत्रिय ‘उत्कर्ष’
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