साज़िश…

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shalini

जाने कितनी साज़िशें रची गई,
दरम्यान हमारे..
किसी ने जरा-सा भी कुछ कह दिया
अफसोस यकीन तुमने कर लिया।

एक बार भी दिल की न सुनी,
कि आवाज सुन लेते दिल बेचारा..
कब से यही कह रहा ,
कहीं ये साज़िश तो नहीं।

अब समझने-समझाने की बात ही न रही,
तुम तो नजरों से क्या, दिल से भी दूर हो गए।

चाहता है मन एक बार तुमसे मिलूँ,
समझाऊँ तुम्हें सब थी गलतफहमियाँ..
केवल रची गईं एक साज़िश।

लेकिन मन यही रहता है क्या इतना,
भी तुमको यकीन न रहा मुझ पर..
जो फँसते चले गए उन साज़िशों के जाल में।

भूलूँ भी तो कैसे तुम्हें,
दिल में बसे जो हो इस कदर..
पर चाहकर भी मिलने का अब, सिलसिला न होगा।

रची गईं ऐसी साज़िशें हमारे दरम्यान ऐसी,
भरी महफिल में भी यादें तुम्हारी..
वही चेहरा हर बार सामने आता,
तन्हाई की बात क्या कहूँ?

अकेले में इन रची गई साज़िशों पर,
बस अश्क बहाना आता है..
काश! तुम समझ गए होते,
इन साज़िशों के रुप को..
आज हम-तुम यूँ न अलग होते,
प्रेम के अनोखे एहसास से…।

                                                                           #शालिनी साहू

परिचय : शालिनी साहू इस दुनिया में १५अगस्त १९९२ को आई हैं और उ.प्र. के ऊँचाहार(जिला रायबरेली)में रहती है। एमए(हिन्दी साहित्य और शिक्षाशास्त्र)के साथ ही नेट, बी.एड एवं शोध कार्य जारी है। बतौर शोधार्थी भी प्रकाशित साहित्य-‘उड़ना सिखा गया’,’तमाम यादें’आपकी उपलब्धि है। इंदिरा गांधी भाषा सम्मान आपको पुरस्कार मिला है तो,हिन्दी साहित्य में कानपुर विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान पाया है। आपको कविताएँ लिखना बहुत पसंद है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।