काव्य कुँअर एवं काव्य दीप सम्मान समारोह 2025 सम्पन्न

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राष्ट्रधर्म निभाती है कविता- प्रो. भारद्वाज

डॉ. कुँअर बेचैन की काव्य साधना जनपक्षधर – डॉ. शैलेन्द्र शर्मा

उज्जैन। हिन्दी कवि डॉ. कुँअर बेचैन की जन्म जयंती पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान, डॉ. कुँअर बेचैन स्मृति न्यास, ऑस्ट्रेलिया और विक्रम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में काव्य कुँअर 2025 व काव्य दीप सम्मान समारोह का आयोजन मंगलवार को शलाका दीर्घा में सम्पन्न हुआ। आयोजन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने की। मुख्य वक्ता कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा व विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता अनंत यादव रहे। अतिथि स्वागत पंकज प्रजापत, पारस बिरला, संदीप सृजन ने किया। स्वागत उद्बोधन संस्थान अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया।

कार्यक्रम में मालवी कवि डॉ. राजेश रावल को स्वर्णाक्षर सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मंचीय कवियों में शुभम स्वराज, शुभम शर्मा, डॉ. अरुण चोयल, विकास यादव, अनुज भार्गव, मेधावी राव, पूजा राज, राहुल रक्षक, धर्मेंद्र खारोल, रविन्द्र बिरला, जसवेंद्र बुंदेला, लोकेश निर्भय, जया धनगर, चेतन जोशी चेतन, आदित्य मुकाती प्रतीत, सात्विक एस जैन, प्रियांशी पाटीदार और पंकज राठौर प्रखर को काव्य दीप सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन कवि गोपाल गर्वित ने व आभार कवयित्री निशा पंडित ने माना। आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार माया बधेका, संतोष सुपेकर, मणिमाला शर्मा, डॉ. सुनीता फड़नीस, डॉ. संध्या सिलावट, संध्या रॉय चौधरी, राजेश जोशी, डॉ. मयूरी जैन आदि सुधिजन मौजूद रहे।

मंचासीन अतिथियों ने साहित्यिक विषयों पर चर्चा की

कविता शब्दों का समूह नहीं, सामाजिक चेतना – प्रजापत


विक्रम विश्वविद्यालय के मंच से बोलते हुए कवि पंकज प्रजापत ने कहा कि ‘कविता केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का माध्यम है।’ उन्होंने विक्रम की साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘जहाँ कालिदास और सुमन जैसे रचनाकार हुए हों, वहाँ कविता पर बोलना एक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने नवांकुर कवियों को चेताया कि मंचीय प्रदर्शन, तालियाँ और सोशल मीडिया की लोकप्रियता ही कविता का उद्देश्य नहीं है। शब्दों की मर्यादा और भाषा की अस्मिता की रक्षा आवश्यक है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘भाषा का क्षरण एक गंभीर संकट है और कवियों को इसकी रक्षा करनी चाहिए।’

डॉ. बेचैन ने नवाचार और परंपरा के बीच संतुलन बनाया- डॉ. शर्मा


मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कुँअर बेचैन की रचनात्मक यात्रा को याद करते हुए कहा कि ‘वे आधुनिक हिंदी काव्य परंपरा के एक सशक्त स्तंभ थे।’ उन्होंने बताया कि ‘कुँअर बेचैन ने गीत, ग़ज़ल, महाकाव्य और मुक्तछंद जैसी विविध विधाओं में रचना की और समयानुसार अपने काव्य स्वरूप को ढाला। वे केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक गंभीर साहित्यकार, शोध निर्देशक और अकादमिक योगदानकर्ता भी थे। उनकी कविताओं में भाव, विचार और संवेदना का सामंजस्य दिखाई देता है।’ डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि ‘बेचैन की रचनाओं में जीवनबोध, सामाजिक सरोकार और आत्मचिंतन की स्पष्ट झलक मिलती है। वे साहित्य को केवल मंच तक सीमित न रखकर उसमें चिंतन, गहराई और नवाचार के पक्षधर थे। उन्होंने नवाचार और परंपरा के बीच संतुलन स्थापित करते हुए कविता को जनमानस से जोड़ने का सफल प्रयास किया।’

मानवता के लिए रचने वाले कवि अमर होते हैं – कुलगुरु


कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि ‘जो कवि मानवता के लिए लिखते हैं, वे कालजयी हो जाते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘कविता केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं, बल्कि संवेदना और सामाजिक चेतना का उद्घोष है।’ अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि ‘कविता अपने संस्कारों के माध्यम से राष्ट्र का वंदन करती है।’ उन्होंने कहा कि ’आज की युवा पीढ़ी भी कविता के ज़रिए राष्ट्र जागरण में जुटी है, जैसे स्वतंत्रता संग्राम में कवियों की भूमिका थी। वेदना को शब्द देना माँ वागेश्वरी का वरदान है, जो नवांकुरों को प्राप्त हो रहा है।’ उन्होंने युवा रचनाकारों से अपील की कि वे जनभावनाओं और सामाजिक सरोकारों को अपनी रचनाओं में स्थान दें और कविता को जनचेतना का माध्यम बनाएँ।

कविता से जुड़े सामाजिक विषय – अनंत यादव

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता अनंत यादव ने अपने संबोधन में युवाओं से अपील की कि वे कविता के माध्यम से समाज से जुड़े विषयों को उठाएँ। उन्होंने कहा कि ‘कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का प्रभावी माध्यम भी है।’ उन्होंने सरल भाषा में लेखन को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि ‘यही भाषा जनमानस तक सीधे पहुँचती है।’ अनंत यादव ने विश्वास व्यक्त किया कि हिंदी और कविता का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि आज के युवा कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से अन्य युवाओं को जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘युवा की कलम में वह शक्ति है, जो युवाओं के मन की बात को सटीकता से कहने का सामर्थ्य रखती है।’

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।