3 जून 1918-आज ही के दिन 1918 में बापू ने इन्दौर से दिया था हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का मंत्र

2 0
Read Time2 Minute, 6 Second

मोहनदास करमचंद गाँधी और इन्दौर का एक नाता ऐसा है जो जीवन पर्यंत हर हिन्दीप्रेमी स्मरण करता रहेगा। 3 जून 1918 को गांधीजी की अध्यक्षता में इंदौर में ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ आयोजित हुआ और उसी में पारित प्रस्ताव द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया।
इन्दौर में एक बगीचा है विस्को पार्क, जिसे वर्तमान में नेहरू पार्क कहा जाता है, उसी बगीचे में एक स्थान ऐसा भी है जहाँ बैठकर जहाँ बैठकर बापू ने हिन्दी के प्रति अपना स्वप्न राष्ट्रभाषा के रूप में बुना और सम्पूर्ण राष्ट्र में हिन्दी प्रचार का बीड़ा उठाया।

गाँधी जी ने 1918 में इंदौर से ही हिंदी की तरफदारी शुरू कर दी थी। 8वें हिंदी साहित्य सम्मेलन में इस पर चर्चा हुई। गांधी दोबारा अप्रैल 1935 में इंदौर पहुंचे, तब भी मौका हिंदी साहित्य सम्मेलन में अध्यक्षता का था। इसमें गांधी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन करते हुए ऐतिहासिक वक्तव्य दिया… ‘अगर हिंदुस्तान को हमें सचमुच एक राष्ट्र बनाना है तो चाहे कोई माने या न माने राष्ट्रभाषा हिंदी ही बन सकती है। हिंदी को जो स्थान प्राप्त है वह किसी दूसरी भाषा को कभी नहीं मिल सकता। हिंदू-मुसलमान दोनों को मिलाकर करीब 22 करोड़ मनुष्यों की भाषा थोड़े बहुत फेर से हिंदी-हिंदुस्तान ही हो सकती है।’

महात्मा गांधी और इन्दौर का यह संबंध सदियों सदी तक स्मरण किया जाता रहेगा।

matruadmin

Next Post

पर्यावरण दिवस पर मातृभाषा ने किया पोस्टर लोकार्पित

Thu Jun 5 , 2025
वृक्ष घाव नहीं, छावँ देते हैं इन्दौर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा वृक्षारोपण एवं पर्यावरण के प्रति जागरुकता के लिए तैयार किए पोस्टर का लोकार्पण इन्दौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, कार्यकारिणी सदस्य विपिन नीमा ने किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।