भारत बने भारत अभियान

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मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के मतदाताओं का चुनावी माँग पत्र
आचार्य श्री विद्यासागर अहिंसक रोजगार प्रशिक्षण केंद्र,
विजय नगर, इंदौर, म.प्र.

प्रदेश में प्रचलित शिक्षा पद्धति के प्रभाव में हम अपना लगभग सब कुछ खो चुके हैं। भारत का नाम, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाएं, भारतीय जीवन मूल्य, भारतीय  व्यवसाय कुछ भी तो हमारा नहीं रह गया है। यहां तक कि वर्तमान शिक्षा पद्धति से शिक्षित हमारे बच्चे भी विदेशी जैसे हो गए हैं। अब यह बात एकदम उजागर हो चुकी है कि प्रचलित शिक्षा पद्धति सुसभ्य नागरिकों का नहीं अपितु स्वच्छंद अपराधियों का निर्माण कर रही है। क्या हमें इस स्थिति के विरुद्ध आवाज नहीं उठाना चाहिए।
इस वर्ष मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के चुनाव सन्निकट हैं। यही वह अवसर है जब जनप्रतिनिधि हमारी बात सुनने की तत्परता दिखाते हैं। क्यों न हम इस बार चुनाव में अन्य मुद्दों के साथ साथ अपनी भाषा को भी एक मुद्दा बनाएँ। हमारा अनुरोध है कि आगामी विधानसभा चुनाव का कोई उम्मीदवार चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का हो अपने पक्ष में आपका मत मांगने आपके दरवाजे पर आए तो उसके समक्ष अन्य मांगों के साथ-साथ दृढ़ता पूर्वक निम्न मांगे भी अवश्य ही रखें ऒर हम सभी दलों को अपनी माँग भेजें।

१) देसी या विदेशी किसी भी भाषा में देश का नाम भारत ही प्रचलन में लाया जाए।
२) प्रदेश में प्रत्येक स्तर पर हिंदी भाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाया जाए। बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के दबाव से मुक्त किया जाए
३) प्रदेश में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका की सभी कार्यवाहीयां केवल हिंदी भाषा में संपन्न हों। अंग्रेजी भाषा पर जनता का धन अपव्यय ना किया जाए। निजभाषा में न्याय किसी भी व्यक्ति का अधिकार है ताकि भाषा के कारण उसके साथ कोई अन्याय न हो सके और उसे सभी तथ्यों और सूचनाओं की जानकारी हो सके।
४) व्यावसायिक उत्पादों पर, विज्ञापनों में समस्त जानकारियां हिंदी में उपलब्ध कराई जाएं और उन्हें भारत में निर्मित दर्शाया जाए। हिंदी भाषी राज्य के लोगों को ग्राहक कानूनों के अंतर्गत उत्पाद का नाम व समस्त जानकारी केवल अंग्रेजी में देने का क्या औचित्य है ? उत्पादों पर हमारी भाषा में जानकारी न देना ग्राहक कानूनों के अंतर्गत प्राप्त हमारे कानूनी अधिकारों का हनन है।

हमारा मत बहुत कीमती है। इसे मांगने वालों को यह स्पष्ट कर दीजिए कि जो दल हमारी इन मांगों को स्वीकार करेगा और सत्ता प्राप्ति के उपरांत प्रथम वर्ष में ही इन्हें क्रियान्वित करने का वचन देगा हम उसे ही मत देंगे।

यह भी उचित होगा कि हम अपने – अपने स्तर पर  इन मांगों को उठाने के लिए अपने आसपास के मतदाताओं को जागरूक करें, जगह-जगह नुक्कड़ चर्चाएं करें, युवा मतदाताओं को इन मुद्दों की गंभीरता समझाएं, राजनीतिक दलों को ज्ञापन सौंपें ताकि अगले चुनाव में हमारी यह मांगे निर्णायक मुद्दा बन सकें। मत भूलिए कि हमारा भविष्य हमारे विवेकपूर्ण मतदान पर निर्भर है और यह अवसर है अपने मत के सदुपयोग का। जाति या संप्रदाय के किसी भी विभाजन से ऊपर उठ कर अपने मत का सदुपयोग करें।

सभी भारतीय भाषा प्रमियो, न्याय प्रेमियों, जनाधिकारवादियों से अनुरोध है कि वे इन माँगों को सक्रियता से आगे बढ़ाएँ। और अपनी ओर से भी यह माँग रखें।

#विजयलक्ष्मी जैन

इंदौर(म.प्र.)

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।