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मैं पथिक हूं तूफानों में चलने का आदी,
तुम मत मेरी दुर्गम राहें आसान करो।
मैं कड़ी धूप में तपकर और भी निखरा हूं,
छाया का मेरी राह में न सामान करो।
पथरीली राहों पर है चलना सीख लिया,
मत कंकड़ चुनकर तुम मुझ पर एहसान करो।
दुर्गमतर मंजिल मुझको सदा बुलाती है,
राहनुमा सफर में कोई न मेरे साथ करो।
तूफानों में साहिल पे पहुंचना आता है,
है क़सम,किनारे पर न मेरा इन्तज़ार करो॥
#सन्तोष बाजपेई
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