मंत्र णमोकार जब से, मैंने भजा /
यूं लगा मेरा जीवन सफल हो गया /
आस्था मेरी मंत्र में बड़ाने लगी /
और विशवास मेरा अटल हो गया /
मंत्र णमोकार जब से मैंने भजा /
मै गया विद्यासागर के सत संघ में /
मेरा तन मन रंग उनके ही रंग में /
मै गया विद्यासागर के सत संघ में /
मुक्ति का मार्ग कठिन था बहुत /
मिल गए मुझे सदगुरु अब सरल हो गया /१/
मंत्र णमोकार जब से, मैंने भजा /
यूं लगा मेरा जीवन सफल हो गया /
मै मुनि संघ में अब जाने लगा /
भक्ति रस में गोते लगाने लगा /
मै मुनि संघ में अब जाने लगा /
सुनकर गुरुवर की वाणी जो आंसू बाहे /
देखते देखते गंगा जल हो गया /२/
मंत्र णमोकार जब से, मैंने भजा /
यूं लगा मेरा जीवन सफल हो गया /
संजय ये गाथा तुम सबको सुना रहा है /
बस एक बार तुम इसको अजमा के देख लो /
आप सब का जीवन सफल हो जायेगा /
उपरोक्त भजन आचार्य श्री विद्यासागर जी और मुनि संघ के चरणों में समर्पित /मेरे मार्ग दर्शक मेरे पिता श्री
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।