रैन तुम्हारे संग बीते फिर ,
बीते भोर ख्यालों में,
बन पगली फिर फिरा करुं मैं ,
तपते हुए उजालों में ।
मैं बरखा बन-बन बरसुं,
बन पतझर झर- झर जाऊँ रे,
शीत ऋतु में तपुं आग सी,
ग्रीष्म में ठंडक पाऊँ रे,
करूँ कल्पना प्रेम की अब
चाहे होगा जैसा भी,
प्रियतम के संग देखूँ मैं अब,
एक मौसम ऐसा भी।
रिया मोरे
इन्दौर, मध्यप्रदेश
परिचय
नाम- रिया मोरे
निवासी- इंदौर (मध्यप्रदेश)
पिता- मुकेश मोरे
माता- ममता मोरे
शिक्षा- BALLB (आनर्स) अंतिम वर्ष
सम्मान- महारथी सम्मान, इन्दौर
सम्प्रति- कवि एवं हिन्दी, संस्कृत शिक्षिका