लघुकथा की मार्गदर्शिका है ‘‘लघुकथा वृत्तान्त’’
इन्दौर। हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार-कथाकार सूर्यकान्त नागर की 30वीं कृति ‘‘लघुकथा वृत्तान्त’’ का लोकार्पण रविवार को श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि
‘कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने की कला लघुकथा है, दोहा, सोरठा भी पद्य में इस विधा के पूर्व उदाहरण है, उन्होंने कहा कि लघुकथा पुरानी परम्पराओं को जीवन्त करने का सार्थक प्रयास है।’
मुख्य अतिथि नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि ‘साहित्य के दो रुप होते है भगवान विष्णु की तरह एक विराट एवं दूसरा वामन-लघुकथा उसी वामन का प्रतीक है, उन्होंने कृति की प्रशंसा की एवं आह्वान किया कि भारतीय लेखकों-समीक्षकों को विदेशी साहित्य भी देखना चाहिए।
म.प्र. साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कहा कि ‘यह कृति लघुकथा लिखने वालों के लिए मार्गदर्शिका का काम करेगी। इसमें लघुकथा संघर्ष का सजीव वर्णन है।’
कृति पर समीक्षा करते हुए ज्योति जैन ने कहा कि कृति 3 भागों में विभक्त है, इसमें लघुकथा के विभिन्न आयामों को दर्शाया गया है। सतीश राठी ने कहा कि ‘‘लघुकथा वृत्तान्त’’ लघुकथा सन्दर्भ एक मार्गदर्शी व पुख्ता दस्तावेज है।
लेखक सूर्यकांत नागर ने इस पुस्तक के लिखे जाने के उद्देश्य और लघु कथा लेखन की बारीकियां भी बताई।
आरंभ में माँ सरस्वती अर्चना पश्चात् स्वागत उदबोधन समिति के प्रधान मंत्री अरविंद जवलेकर ने दिया। अतिथि परिचय के साथ संचालन साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने किया एवं अंत में आभार प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत डॉ. अर्पण जैन, सुधा चौहान, मणिमाला शर्मा, संगीता चौधरी ने किया। इस अवसर पर कृष्ण कुमार अष्ठाना, राजेश शर्मा, डॉ. पुरुषोत्तम दुबे, सदाशिव कौतुक, प्रदीन नवीन, उमेश पारीख, अनिल भोजे, प्रभु त्रिवेदी, महू से रामलाल प्रजापत, सरदारपुर से कु. प्रतिमा सिंह, डॉ. जवाहर चौधरी, मुकेश तिवारी, चैतन्य त्रिवेदी, संदीप श्रोत्रिय, अजीज अंसारी, अखिलेश राव, आशा जाकड़, ब्रजेश नागर, प्रतापसिंह सोढ़ी, सत्यनारायण व्यास, मोहन रावल एवं व्योमा मिश्रा आदि साहित्यकार व सुधीजन उपस्थित थे।