कविता – बुद्धम शरणं गच्छामि

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लुंबिनी में सिद्धार्थ ने जन्म लिया,
मात-पिता थे शुद्धोधन और महामाया।
सुंदर यशोधरा संग ब्याह रचाया,
राहुल को पुत्र के रूप में पाया।
राजकुल के सुखों को भोगते हुए,
मन में थे वैराग्य को पाले हुए।
बूढ़े, रोगी, मृतक देख विचलित हो गए,
संसार से विमुक्त संन्यासी देख आकर्षित हो गए।
सुंदर पत्नी, दुधमुंहे बेटे का मोह न बांध पाया,
सम्यक सुख-शांति के लिए परिवार को त्याग दिया।
छप्पन भोगों का त्याग कर भिक्षा माँगने लगे,
मन-शरीर साधने के लिए सिद्धार्थ तपस्या करने लगे।
वैशाखी पूर्णिमा के पावन दिन,
सफल हुई साधना ये हुआ भान।
पीपल का वह वृक्ष बोधिवृक्ष कहलाया,
गया की वह तपस्थली कहलाई बोधगया।
इस प्रकार सिद्धार्थ, सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए,
संसार को सत्य-अहिंसा का उपदेश देने लग गए।
मध्यम मार्ग का उपदेश दिया,
पूरे विश्व में बौद्ध धर्म को प्रचारित किया।
बौद्ध धर्म के मार्ग पर जो हैं अग्रसर,
सब करते हैं इस मंत्र का उच्चार-
बुद्धम शरणं गच्छामि,
धम्मम शरणं गच्छामि,
संघम शरणं गच्छामि।

#अनुपमा धीरेंद्र समाधिया
इंदौर

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।