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भारत शब्द का अर्थ कितना निराला है,
‘इंडिया’ के नाम से हमें अंग्रेजों ने अपराधी कह डाला है।
कभी ये देश विश्व गुरु कहलाता था,
सारी दुनिया में इसका परचम लहराता है
पर जब ‘इंडिया’ बना दिया है प्यारे हिन्दुस्तान को,
ठेस लगी है उस दिन से भारत माता के सम्मान को।
विद्या गुरु की वाणी को अब जन-जन तक पहुँचाना है,
हमको पहले जैसा अपना भारत देश बनाना है।
कभी इस देश में गुरुकुल शिक्षा मिलती थी,
संस्कारों की जीवन में अद्भुत बगिया खिलती थी।
प्रतिभा अब पलायन होती विदेशों में चली जाती है,
अपना देश अपनी संस्कृति सब कुछ भूल जाती है।
शिक्षा अब व्यापार हो गई,कॉन्वेंट ने डेरा डाला है,
इंडिया के बदले अंग्रेजों ने हमें अपराधी कह डाला है।
गुरुदेव के आशीष से नई प्रतिभास्थली खुलवाना है,
हमको पहले जैसा अपना ‘भारत’ देश बनाना है।
अंग्रेजी की चकाचौंध में हम हिन्दी को भूल गए,
फैशन का जब चला दौर तो धोती-कुर्ता भूल गए।
भारतमाता कहने वालों की संख्या नित- नित घटती है,
भारतमाता की धरती पर गौ माता भी कटती है।
मानवता को खत्म करे ऐसा हथियार बना डाला,
स्वरोजगार हटा हमें नौकर बना डाला है।
‘इण्डिया’ के बदले अंग्रेजों ने हमें अपराधी कह डाला।
गुरुदेवों के आशीष से नए हथकरघा खुलवाना है।
हमको पहले जैसा भारत देश बनाना है॥
#शुभांशु जैन
परिचय : शुभांशु जैन मध्यप्रदेश से हैं। लेखन में उपनाम-शुभ लगाते हैं। आपकी जन्मतिथि-२८ मई १९९५ तथा जन्म स्थान-शहपुरा भिटौनी(जिला जबलपुर) है। निवास राज्य-मध्यप्रदेश के शहर-जबलपुर में ही है। बी.ई. सहित पीजीडीसीए की शिक्षा ली है,तो पत्रकारिता की पढ़ाई जारी है। आपका कार्यक्षेत्र-मंच संचालक,लेखक,कवि और वक्ता के रुप में है। सम्मान के रुप में युवा मंत्रालय द्वारा नेहरू गांधी भाषण स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार(जिला स्तरीय)प्राप्त किया है। आपके लेखन का उद्देश्य-परम् पूज्य आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी की धर्म प्रभावना के साथ साथ गुम होते हुए संस्कारों को युवा पीढ़ी में पुनः स्थापित करना है। साथ ही अपनी मातृभाषा,संस्कृति,शिक्षा,देश आदि के प्रति अपने कर्तव्य निभाने के लिए सबको प्रेरित करना भी है।
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