वासनाओं के घड़े हैं, देखिए कब फूटते हैं,
ध्येय में ही दोष सारे, भाव कब ये सूझते हैं!
रोज़ दिखना, रोज़ छपना,
रोग कैसा, सत्य कहना।
लेखनी की तज महत्ता
संगतों में क्यों विचरना?
धार के तैराक देखो, पोखरों में डूबते हैं,
ध्येय में ही दोष सारे, भाव कब ये सूझते हैं ?
रस भरी वाणी विषैली,
ताक में है घात कर दूँ।
रिक्त करके कोष सबके,
आज अपने डोल भर लूँ ।
अर्थ से उपकार करके, भेष बदले घूमते हैं,
ध्येय में ही दोष सारे, भाव कब ये सूझते हैं ?
कामनायें दास होतीं,
लक्ष्य जब जब श्रेष्ठता हो।
पद, प्रतिष्ठा या पदक से,
लब्ध मिथ्या ज्येष्ठता हो।
है ठहरना या कि चलना, द्वंद्व में सब झूलते हैं,
ध्येय में ही दोष सारे, भाव कब ये सूझते हैं ?
नीलम तोलानी ‘नीर’
इन्दौर, मातृभाषा
परिचय-
नाम: नीलम तोलानी ‘नीर’
पिता: श्री गोविंद सचदेव
माता: श्रीमती शारदा सचदेव
पति: श्री हरीश तोलानी
पु़त्र: ख़ुश तोलानी, रिद्धिमान तोलानी
जन्म तारीख: 23/05
शिक्षा: बी. एससी, एमएफए, (फाइनेंस), डब्ल्यू एस पी, आईआईएम बंगलुरू
रुचियाँ: लेखन, पठन
प्रकाशन:
पुस्तक- कितना मुश्किल कबीर होना (2022) संस्मय प्रकाशन, दिल्ली
साझा संग्रह: “गूंज”, “शब्दों की पतवार”, “शब्द समिधा”, “स्वच्छ भारत”, शब्द मंजरी।
सिसृषा, ब्रज कुमुदेश, काव्यांजलि जैसी छंद
पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन।
*कई समाचार पत्र यथा पत्रिका, दैनिक भास्कर, सिंधु मशाल पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन जारी।
विशेष सम्मान:
उड़ान वार्षिक प्रतियोगिता 2019 में श्रेष्ठ लघुकथाकार व छन्द लेखन में पुरस्कृत।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका राम काव्य पीयूष में गीत का चयन, प्रकाशन
2019 में women web राष्ट्रीय हिंदी कविता प्रतियोगिता में पोएट ऑफ ईयर अवॉर्ड
उड़ान सारस्वत सम्मान
उड़ान गद्य सम्राट
सिंधु प्रतिभा सम्मान 2019