वरिष्ठ साहित्यकार डॉ . शरद पगारे को प्रदान किया गया के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन का व्यास सम्मान

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यह मेरा नहीं मेरी रचनाधर्मिता का सम्मान है- डॉ. पगारे

इन्दौर। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे को बुधवार शाम के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा प्रतिष्ठित तीसवाँ व्यास सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की साम्राज्ञी’ के लिए दिया गया।
इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागार में आयोजित सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेणु जैन थीं। विशेष अतिथि के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण व पद्मश्री सुशील दोषी रहे। स्वागत उद्बोधन प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री अरविन्द तिवारी ने दिया।
डॉ. पगारे के व्यक्तित्व पर प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार श्री मुकेश तिवारी ने डाला। अतिथियों का स्वागत प्रेस क्लब उपाध्यक्ष श्री प्रदीप जोशी, कोषाध्यक्ष श्री संजय त्रिपाठी और प्रो. सुशीम पगारे ने किया। संचालन श्रीमती श्रुति अग्रवाल ने व आभार मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने माना।

आयोजन की मुख्य अतिथि प्रो. रेणु जैन ने कहा कि ‘डॉ. पगारे का सम्मान, पूरे इन्दौर का सम्मान है और हमारे लिए यह क्षण गौरव के हैं।’
के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण ने कहा कि ‘डॉ. शरद पगारे शब्द से मूर्ति बनाते हैं, वह अमूर्त को मूर्त कर देते हैं। रचनाकार वही सफल है, जो पाठक को अपने साथ लंबी यात्रा पर ले जाता है।’ उन्होंने बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा प्रतिष्ठित व्यास सम्मान के लिए चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

व्यास सम्मान ग्रहण करने के बाद वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि ‘मेरे शब्द आज खो रहे हैं, यह मेरा नहीं, मेरी रचनाधर्मिता का सम्मान है।’ उन्होंने रचनाकारों से आह्वान किया कि ‘जिस तरह एक कलाकार रोज़ रियाज़ करता है, उसी तरह रचनाकार भी रोज़ लिखें व ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ें भी।
डॉ. पगारे बोले, ‘मैंने इतिहास से ऐसे पात्र उठाए, जिनका इतिहास में ज़िक्र न के बराबर मिलता है।’

सम्मान समारोह में अनेक साहित्यिक व सामाजिक संगठनों ने डॉ. पगारे का अभिनंदन किया। इस मौके पर प्रो. बी के निलोसे, प्रो. शशिकान्त भट्ट, प्रो. जगदीश उपाध्याय, हरेराम वाजपेयी, प्रताप सिंह सोढ़ी, योगेन्द्रनाथ शुक्ल, प्रदीप नवीन, संतोष मोहंती, इन्दु पराशर, जय सिंह रघुवंशी, सत्यनारायण व्यास, सदाशिव कौतुक, मिलिंद मजूमदार, नीलम तोलानी, शिशिर उपाध्याय, अर्चना पण्डित, विपिन नीमा, डॉ. कमल हेतावाल, शोभा प्रजापति, मदन दुबे, डॉ. ज्योति सिंह, चंद्रशेखर शर्मा, विवेक वर्धन श्रीवास्तव, गौरव साक्षी, जसमीत सिंह, नवीन जैन सहित साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता जगत के अनेक वरिष्ठ लोगों की मौजूदगी थी।

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