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मैंने सोचा
क्यों ना
आसमान से
अपना हिस्सा
मांगा जाए
आसमान ने कहा
हिस्से
तो धरती के लगते हैं
मेरा सबकुछ
सबका है
कोई प्लॉट साइज नहीं
कोई बाड़ाबंदी नहीं
जिसका ‘मन’ करे
जब चाहे
उन्मुक्त उड़ान भर ले।
अर्द्धेन्दु भूषण
इन्दौर, मध्यप्रदेश
लेखक वर्तमान में शहर इन्दौर में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार औऱ दैनिक अख़बार के एसोसिएट सम्पादक और स्तम्भकार है।
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