नए साल का नया आगमन, नई खुशियां लेकर आया है,
वक़्त न ठहरा किसी के लिए, ये इसने समझाया है।
यहां आने वाले भी आएँगे और जाने वाले जाएँगे,
होगी शाम भी सुहानी-सी और पंछी भी चहचहाएँगे।
गम का मातम भी होगा ख़ुशियों में जश्न मनाएँगे,
मेहनत को यहां जिसने जाना, वो हर राह सजाएँगे।
न इंसान वो हुआ किसी का, जिसने मतलब सुलझाया है,
नए साल का नया आगमन, नई ख़ुशियां लेकर आया है।
कुछ टकराए सामने से, कुछ छुरा पीठ में घोपेंगे,
कुछ सींचे पुराने से तो कुछ नए पौधे भी रोपेंगे।
कुछ होंठो पे मुस्कान दे, कुछ आंसूं भी पोछेंगे,
कभी बे ख़्याली के ख़्याल में “मलिक” भी सोचेंगे।
कभी हँसकर कभी रोकर, यहां सबने वक़्त बिताया है,
नए साल का नया आगमन, नई ख़ुशियां लेकर आया है।
#सुषमा मलिक “अदब”
रोहतक (हरियाणा)