जब भी लिखें, सार्थक लिखें- श्री वाजपेयी
दीप्ति शर्मा “दीप” भाषा सारथी सम्मान से सम्मानित
इंदौर। लेखिका डाॅक्टर पूजा मिश्रा “आशना’ के मुक्तक संग्रह ‘कहो रह सकोगे सदा साथ साजन’ पर चर्चा का आयोजन विचार प्रवाह साहित्य मंच के बैनर तले हुआ। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी ने रचनाकारों से आह्वान किया कि वह जब भी लिखें, सार्थक लिखें। उन्होंने कहा कि मुक्तक कम से कम शब्दों में बात कहने की महत्वपूर्ण विधा है।
मुक्तक लिखते वक़्त यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका भाव और कला पक्ष इतना मज़बूत हो कि उसे पढ़ने और सुनने के बाद श्रोता बाहर जाकर गुनगुनाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो वह मुक्तक प्रभावी नहीं माना जाएगा। मुख्य अतिथि वरिष्ठ लेखिका श्रीमती दीप्ति शर्मा (उड़ीसा) ने मुक्तक और काव्य विधा पर बात रखते हुए रचना पाठ किया। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. अर्पण जैन ने भी अपने विचार रखे। अतिथि स्वागत डाॅ. पूजा मिश्रा, श्रीमती वाणी जोशी ने और संचालन मुकेश तिवारी ने किया। आभार श्री दीपक विभाकर नाईक ने माना। मातृभाषा उन्नयन संस्थान की ओर से डाॅ. अर्पण जैन, श्रीमती नीलम तोलानी और श्री गौरव साक्षी ने श्रीमती दीप्ति शर्मा को भाषा सारथी सम्मान से सम्मानित किया।