मित्र शब्द है जाना पहचाना सा,
दिल के क़रीब कोई अपना सा,
जिससे नहीं हो कोई भी सम्बन्ध,
पर हो दिल के गहरे बंधन
तो वह है मित्र..
जो बिन कहे सब समझ जाएं
जिसे देख दर्द भी सिमट जाए,
जिसे देखकर ही आ जाये सुकून
और सब तनाव हो जाये गुम.
तो वह है मित्र ….
जब मुश्किलों से हो रहा हो सामना,
और लगे कि अब किसी को है थामना
उस वक्त जो सबसे पहले आए
बिन कहे जो हाथ बढ़ाये
तो वह है मित्र……
निःस्वार्थ, निश्छल, सब सीमाओं से पार
जैसे हो कृष्ण और सुदामा,
जहाँ बीच में न आए कोई भाषा,
न कोई उम्मीद, न कोई आशा
बस यही है मित्रता की परिभाषा
रुचिता तुषार नीमा
इन्दौर
परिचय
जन्म – 2 जुलाई
स्थान – इंदौर
शिक्षा: स्नातकोत्तर (जूलॉजी) होलकर साइंस कॉलेज,
B.ed. इग्नू
प्रकाशन – निजी काव्य संग्रह- अज्ञात की खोज, अनेक पत्र पत्रिकाओं में कविताओं, आलेख और लघुकथा का प्रकाशन एवम साझा कृतियों में प्रकाशन
प्राप्त सम्मान/पुरस्कार:
संस्कृति श्री अलंकरण(मंथन इंटरनेशनल जबलपुर),देशभक्ति गौरव सम्मान( जागरण संस्था), सुर्मिला अलंकरण (नेमा दर्पण) .काव्य आभा अलंकरण , वर्तिका शक्ति श्री सम्मान , शब्द साधना अलंकरण ,मध्यप्रदेश नारी गौरव सम्मान. मंथन काव्य पीयूष अलंकरण , राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच एवम अन्य जगहों पर सम्मानित