भूलता सफर हू मैं “जिन्दगी”
वक्त का मारा हुआ
दो कदम जीता हुआ
दो कदम हारा हुआ।
ऐसे तमाम रिश्तों का मारा हुआ
उदास लम्हों का सताया हुआ
जो मतलब के दो पहिये थे
अजीब दास्ता बन गयी अब तो
इसलिए ऐ “जिन्दगी”
दो कदम जीता हुआ
दो कदम हारा हुआ।
सूना था शोर बहुत है
तेरी गलियो मे “जिन्दगी”
पर देखे तूझे तो
महसूस किया
तू कितना खामोश है
गम का मारा हुआ
तभी तो ऐ जिन्दगी
दो कदम जीता हुआ
दो कदम हारा हुआ।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति