Read Time30 Second
![](http://matrubhashaa.com/wp-content/uploads/2022/11/IMG-20221118-WA0063-1024x675.jpg)
क्या
मजबूरियां भी
जेनेटिक
होती हैं?
मुझे तो
ऐसा ही लगता है
क्योंकि
आज मैंने
अपने बच्चे
की आंखों में
उन्हीं सपनों को
डूबते-उतराते देखा
जिन्हें मैं
अपने बचपन में
कई बार
पूरी तरह
डूबो चुका हूँ।
अर्द्धेन्दु भूषण
इन्दौर, मध्यप्रदेश
लेखक वर्तमान में दैनिक प्रजातंन्त्र के सम्पादक और स्तम्भकार है।
Post Views:
386