जय नाग देवता

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धरती मैय्या टीकी जिनके फनों पर
विष्णु जी बैठे शेषनाग की शैय्या पर ।
कृष्ण ने नाग के सहारें की यमुना पार
नाग सुशोभित है भोलेनाथ के गलें पर ।।

जन्मेजय ने किया जब नागों का दाह संस्कार
आस्तिक मुनि ने किया नाग वंश का उद्धार ।
पंचमी पर ही जन्मेजय ने दिया जीवन दान
तभी से मनाया जाता है नागपंचमी का त्यौहार ।।

कालियादेह नाग के फन पर नाचें गोपाल
कर इसका उध्दार,यमुना को किया खुशहाल ।
समुद्र मंथन में वासुकि नाग की रही भूमिका
खेत – खलिहान के कहलाते नाग क्षेत्रपाल ।

नाग हमारी रक्षा करते , होकर परम उदार
हमको करना चाहिये , उनका सदा सत्कार ।
पूजन मात्र से होता हैं कालसर्प दोष निवारण
खुशियों की करते जीवन में रंगीली बौछार ।।

नाग देवता की आराधना करती हर नैय्या पार
भययुक्त होकर हम करे इनका जय – जयकार ।
दूध, चंदन,इत्र,पुष्प की खुशबू लगती है प्यारी
भक्तों के जीवन में भरते सुख समृद्धि का भंडार ॥

गोपाल कौशल
नागदा जिला धार म.प्र.

                       

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