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प्रयास करिए पुष्प सा,
जो छोटे से अस्तित्व से
पूरे गुलशन को महकाये।
प्रयास करिए बाँसुरी सा,
जो बस जरा सी होठो की छुहन से
पूरी महफ़िल के कानों में घुल जाए।
प्रयास करिए माझी सा,
जो दो किनारों पर खड़े
लोगो को आपस मे मिलवाये।
प्रयास करिए जोड़ का,
घटाने से तो ख़ुद ही बड़ी
से बड़ी शंख्या घटती जाए।
प्रयास करिए माँ बाप सा
जो बच्चो को एक समान
बढ़ने का पाठ शिखाएं।
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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