औषधीय गुणों से भरपूर मूली

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नवनीत शुक्ल(शिक्षक एवं पूर्व कृषि शोध छात्र, इ० वि० इ०)
प्रकृति ने हमें विभिन्न प्रकार के फल-फूल, सब्जियाँ एवं कंदमूल प्रदान किये हैं, इन्हीं में से पौष्टिक तत्वों से भरपूर मूली भी एक सब्जी है जो सम्पूर्ण भारतवर्ष में बहुतायत मात्रा में उगायी जाती है जिससे सभी आमजन परिचित हैं, परंतु इसके दिव्य औषधीय गुणों के बारे में नहीं जानते हैं। मूली का वैज्ञानिक नाम रैफेनस सैटाइवस(Raphanus Sativus) है जो ब्रेसीकेसी कुल से आती है। मूली का प्रयोग आमतौर पर खाने में सलाद के रूप में एवं विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है। मूली के बीजों से तेल भी निकाला जाता है जो रंगहीन होता है। मूली में विभिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं जो विभिन्न रोगों में लाभदायक होने के साथ-साथ शरीर की आंतरिक प्रक्रिया को ठीक रखते हैं।
प्रति एक सौ ग्राम मूली में विटामिन सी लगभग 15 मिग्रा, कैल्शियम 25 मिग्रा, सोडियम 39 मिग्रा, पौटेशियम 233 मिग्रा, मैग्नीशियम 10 मिग्रा, फास्फोरस 22 मिग्रा, खाद्य फाइबर 1.6 ग्राम, आयरन 2-3 मिग्रा एवं अन्य विभिन्न पोषक तत्व और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। आमतौर पर शीत ऋतु में आने वाली मूली अधिक फायदेमंद होती है। सुबह के समय मूली का सेवन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद फायदेमंद होता है। मूली के जड़ के साथ-साथ उसके पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं जिनका प्रयोग औषधीय रूप में तथा सब्जी एवं पराठे बनाने में होता है।
मूली में विभिन्न लाभदायक तत्व पाये जाते हैं जो हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं। मूली का सेवन करने से निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ होते हैं…
(1) मूली में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यदि हम खाने में मूली का सेवन करते हैं तो हड्डियाँ एवं दांत मजबूत हो जाते हैं। (2) मूली में काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है जो हमारे शरीर के खून को साफ करता है तथा मूली के रस में बराबर मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है और खून की कमी को दूर हो जाती है। (3) मूली में सोडियम एवं क्लोरीन तत्व पाये जाते हैं जो पेट को साफ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं तथा पाचन क्रिया को नियमित करता है एवं सोडियम तत्व चर्मरोगों से शरीर की रक्षा करता है। (4) मूली उच्च रक्तचाप एवं बावासीर में लाभकारी होती है। (5) मूली के सेवन से मूत्ररोगों में लाभ मिलता है तथा ताजी मूली का नियमित सेवन पीलिया रोग में लाभकारी है। (6) मूली के रस में नमक तथा नींबू मिलाकर नियमित सेवन करने से मोटापा जैसे भयानक रोग में लाभ होता है। (7) यदि सिर में जूँ लगातार पड़ती हैं तो मूली के रस को पानी में मिलाकर धोयें लाभ होगा। (8) मूली में काला नमक व नीबूं लगाकर नियमित सुबह खाने से कब्ज जैसा भयानक रोग दूर हो जाता है तथा चेहरे पर कांति आती है। (9) यदि पेट में दर्द हो रहा है तो मूली के रस को नीबूं के रस में बराबर मात्रा में मिलाकर पियें आराम मिलेगा। (10) यदि मुँह से बदबू आती है तो सुबह-सुबह मूली के पत्तों में सेंधा नमक लगाकर नियमित सेवन करें दुर्गंध नष्ट हो जायेगी। (11) मूली के लगातार सेवन से चेहरे में चमक आती है एवं झाईयां दूर होती है तथा चेहरे पर मुहांसे नहीं होते हैं। यदि चेहरे पर मुहांसे निकल आयें हैं तो मूली का एक गोल टुकड़ा काटकर मुहासों पर लगायें तथा सूखने पर ठंडे पानी से धो लें काफी आराम मिलेगा। (12) मूली शरीर से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड निकालकर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है। (13) मूली में विटामिन ए पाया जाता है जो आंखों की रोशनी बढ़ाता है तथा नियमित मूली खाने से चश्मे का नंबर कम हो जाता है तथा चश्मा उतर भी जाता है।(14) मूली के सेवन करने से शरीर का सूखापन नष्ट होता है तथा भूख बढ़ती है। (15) मूली के सेवन से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। (16) मूली मासिक-धर्म और वीर्य पुष्टि वर्धक है तथा श्वेतप्रदर रोगों में लाभकारी है। (17) मूली के पांच ग्राम बीज मक्खन के साथ सुबह के समय लगातार एक महीने तक खाने से पौरुष बढ़ता है। (18) जोड़ों के दर्द एवं जकड़न में मूली का सेवन लाभप्रद है। (19) शरीर में सूजन आने पर मूली के रस को गुनगुना करके लगाने पर आराम मिलता है। (20) मूली के नियमित सेवन से पेशाब सम्बंधी बीमारियां जैसे जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना एवं गुर्दे बीमारी आदि रोग दूर हो जाते हैं। (21) डायबिटीज के रोगी यदि लगातार मूली का सेवन करते हैं तो लाभ होता है तथा रोग की तीव्रता कम होती है। (22) यदि कान के सुनने की शक्ति कमजोर हो गई है तो मूली के रस में नींबू का रस मिलाकर गुनगुना करके कान में डालें तथा कान नीचे की तरफ करके लेट जाएं इससे कान की गंदगी बाहर आ जायेगी तथा सुनने की शक्ति बढ़ेगी। (23) कान में दर्द होने पर मूली के पत्तों को सरसों के तेल में उबाल लें तथा 2-2 बूंद कान में डाल लें दर्द में आराम मिलेगा। (24) मूली को उबालकर खाने से गर्भ विकार दूर होते हैं तथा स्थिरता आती है एवं गर्भपात नहीं होता है। (25) मूली को करेला एवं संतरा के साथ नहीं खाना चाहिए तथा मूली खाने के बाद दूध और पानी पीने से बचना चाहिए।

लेखक
नवनीत शुक्ल(शिक्षक)
रायबरेली(उत्तर प्रदेश)

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