आज गए स्कूल तो,
हमने तुमको ना पाया है।
तुम सबको नटखट बातों ने,
आज मुझको बहुत सताया है।
हर कमरे का हर कोना,
देखो आज वीरान पड़ा।
तुम सबके बिन बच्चों मेरे,
विद्यालय भवन सुनसान पड़ा।
आज किसी ने ना घेरा मुझको,
ना किया किसी ने स्वागत।
यादों ने तुम्हारी छेड़ा मुझको,
मायूसी ने कर दी बगावत।
नजरें तुमको ढूंढ रही थी,
काश तुम्हारी टोली आए।
फिर से करें हम मौज मस्ती,
विद्यालय में रौनक आ जाए।
किसको बोलूँ सँग आकर खेलो?
किसको बोलूँ सुनो कहानी?
बगिया से पुष्प नदारद थे,
माली की आंखों में था पानी।
मिल जाओ तुम यदि मुझको,
तुमको गले लगाऊँ मैं।
लम्बे अरसे की आपबीती,
सुनूं और सुनाऊँ मैं।
अब धीर धरेंगे थोड़ा हम,
ना महामारी से लेंगे पंगा।
मिलजुल कर हम फिर से
नहाएंगे ज्ञान की गंगा।
स्वरचित
सपना (सo अo)
जनपद-औरैया