विहिप ने की चुनाव आयोग से कश्मीरी नेताओं की शिकायत
नई दिल्ली।
अप्रेल 18, 2019। तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों व नेशनल कॉन्फ्रेंस तथा पीडीपी के प्रमुख नेताओं द्वारा बार बार दिए जा रहे भारत विरोधी बयानों व धमकियों के साथ कश्मीर घाटी के बहुसंख्यक मुस्लिम समाज तथा अल्पसंख्यक गैर मुस्लिमों के बीच वैमनष्य पैदा करने के विरुद्ध शिकायत करने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल आज चुनाव आयोग से मिला. विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार के नेतृत्व में गए प्रतिनिधि मण्डल ने चुनाव आयोग से कहा है कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ़्ती ने पाकिस्तान की कठपुतली बन धारा 370 व 35A का विरोध कर लगातार कश्मीर की बहु संख्यक मुस्लिम आबादी का हबाला देते हुए वहां के माहौल को जानबूझकर योजना पूर्वक साम्प्रदायिक बनाने की कुचेष्टा की है. अतः इन नेताओं द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन करने के कारण इनके विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही की जाए. आयोग को सम्बंधित दस्तावेज सौंपते हुए उन्होंने कहा कि जो नेता भारत की सम्प्रभुता पर हमला करते हुए यह कहते हों कि “ना समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दुस्तान वालो, तुम्हारी दांस्ता तक भी ना रहेगी दास्तानों में” और जो वहां के बहुसंख्यक मसलमानों के नाम पर जनता को भारत को तोड़ने के लिए भड़काते हों तो उन पर कड़ी कार्यवाही तो बनती ही है. आयोग ने प्रतिनिधि मण्डल को आरोपों की जांच के बाद उचित कार्यवाही का भरोसा दिया है.
विहिप ने चुनाव आयोग को सौंपे अपने चार पृष्ठों के विस्तृत ज्ञापन में तत्थ्यों के साथ कहा है कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कश्मीर को भारत से अलग करने की धमकी देते हुए जिस शब्दावली का प्रयोग किया है उससे स्पष्ट होता है कि ये नेता सीधे-सीधे पाकिस्तान की उँगलियों पर नाचते हुए भारत के दुश्मन को पूर्व नियोजित तरीके से समर्थन कर रहे हैं. ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि इन नेताओं द्वारा बार बार “कश्मीर की बहु-संख्यक मुस्लिम आबादी” पर जोर देना, मामले को साम्प्रदायिक बना कर, वहां रह रहे गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों से वैमनश्य को बढाने का भी सुनियोजित प्रयास है.
ज्ञापन में कहा गया है कि इन नेताओं द्वारा जनता को मुस्लिम सम्प्रदाय के आधार पर खुले आम देश-द्रोह के लिए उकसा कर भारत के टुकडे करने का प्रयास किया जा रहा है. यह इन नेताओं व उनके सम्बन्धित दलों द्वारा न सिर्फ भारत के संविधान, और इसके अंतर्गत बनाए गए सर्वोच्च न्यायालय, संसद व चुनाव आयोग की सर्वोच्चता पर बल्कि भारत की सम्प्रभुता पर भी सीधा हमला है. इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयानों को किसी भी लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
विहिप कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार, प्रवक्ता विनोद बंसल तथा दिल्ली प्रांत कार्याध्यक्ष वागीस इस्सर द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में मांग की गई है कि चुनाव आयोग इन नेताओं के वक्तव्यों की जांच करा कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर आपराधिक कार्यवाही करे तथा इनके चुनावों में भाग लेने पर रोक लगाए, जो पूर्व में भी आयोग ने समय-समय पर किया है.
विहिप के चार सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल में विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल व दिल्ली के प्रांत कार्याध्यक्ष श्री वागीस इस्सर के अलावा एडवोकेट अमित कुमार भी थे.