0
0
Read Time43 Second
वक्त ने फिर मुझे आजमाया बहुत
एक मैं था कि बस मुस्कुराया बहुत
कारवां है कि जो हौसलों से चला
लक्ष्य उसने यहाँ शीघ्र पाया बहुत
जिंदगी की उलझनों से परेशान था
मैंने अपने को ही तो मनाया बहुत
मेरी तनहाइयों की न पूछो दशा
इस जमाने ने मुझको सताया बहुत
याद दिल से न जाती तुम्हारी के कभी
भूलना था जिसे याद आया बहुत
गीत-ग़ज़लों का मैंने सहारा लिया,
आज हालात ने है लिखाया बहुत
-किशोर छिपेश्वर”सागर”
भटेरा चौकी बालाघाट
Post Views:
348