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मै भी हूं तन्हा,तू भी है तन्हा,
छोड़ जायेंगे इस जहां को तन्हा।
आए थे तन्हा,जायेगे हम तन्हा,
छोड़ जायेगे इस दौलत को तन्हा।
ये चांद है तन्हा,ये सूरज है तन्हा,
ये आसमां में दोनों घूमते हैं तन्हा।
तन्हा रहकर भी न हो पाए हम तन्हा,
तेरी याद आती है जब होते है तन्हा।
क्यों परेशान करती हो जब होता हूं तन्हा,
तन्हायों को कम न करो जब होता हूं तन्हा।
सकून मिलता है,जब होता हूं मै तन्हा,
मेरा सकून न छीनो,रहने दो मुझे तन्हा।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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