तू निराश क्यों खड़ा है?
किस दुविधा में पड़ा है?
कर खुद पे तू भरोसा।
प्रभु सँग तेरे खड़ा है।
यूँ ही नहीं है मिलती,
जग में कोई सफलता।
तन मन और लगन से,
है कर्म करना पड़ता।
तू निराश……..
बेचारा नहीं तू बन्दे,
ईश्वर की तू है रचना।
एक बार मिलता जीवन,
ना व्यर्थ इसको करना।
तू निराश……..
आगे बढ़ा कदम तू,
मन्जिल तेरी पुकारे।
तू क्यों चुप है बैठा?
यूँ मन को अपने मारे।
तू निराश……..
पी कर विष का प्याला,
नीलकंठ वो कहाए।
चिंता,भय,फिकर में,
आँसू तू क्यों बहाए?
तू निराश……..
माना कठिन हैं राहें,
पर हौंसले जवां रख।
विस्वास की पूंजी,
दिल में तू सदा रख।
तू निराश……..
चल उठ खड़ा तू हो जा,
समय अब ना तुम गंवाओ।
साहस,धैर्य ,लगन से,
कुछ जग को कर दिखाओ।
तू निराश……..
स्वरचित
सपना (सo अo)
जनपद-औरैया