आज पूरा विश्व तंबाकू के दुष्परिणामों से चिंतित है तथा इससे निजात पाने के प्रयास कर रहा है। तंबाकू के दुष्प्रभाव से लोगों को जागरूक करने तथा इससे निजात पाने के प्रयासों को वढावा देने के लिए 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस का नारा (थीम) है- *तम्बाकू छोड़ने के लिए प्रतिबद्धता*
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू छोड़ने का निश्चय करने वालों में से केवल 30% लोग ही तंबाकू छोड़ने के उपाय को अपनाने में सफल होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष गैर संचारी रोग (कैंसर, मधुमेह, सांस की बीमारी, त्वचा की बीमारी, हृदय रोग) से मरने वालों की संख्या 38 लाख है, जिसमें तंबाकू की अहम भूमिका होती है। एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में प्रति 6 सेकंड पर एक व्यक्ति की मौत का कारण तंबाकू होता है। भारत में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या लगभग 27 करोड़ है। आंकड़ों के अनुसार भारतवर्ष में हर दिन लगभग 2700 लोगों के मृत्यु का जिम्मेदार तंबाकू होता है। ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण ( 2016-17) के अनुसार भारत में 42.47% पुरुष तथा 12.24% महिलाएं तंबाकू का प्रयोग करते हैं।
सेकंड हैंड स्मोकिंग:
ऐसे मामले हैं जिसमें व्यक्ति स्वयं धूम्रपान नहीं करता किंतु उसके परिवार के सदस्य एवं आसपास के लोगों द्वारा धूम्रपान करने के कारण श्वांस के माध्यम से वे धूम्र ग्रहण करते हैं। इसे पैसिव स्मोकिंग, परोक्ष धूम्रपान, ईटीएस (एनवाँयरमेंटल टोबैको स्मोक) के नाम से भी जानते हैं। सिगरेट व बीड़ी पीने वाले जो धुआं छोड़ते हैं उसमें सामान्य हवा की अपेक्षा 3 गुना ज्यादा निकोटीन, 3 गुना टार एवं 50 गुना अमोनिया होता है जो लोग धूम्रपान करते हैं उसका प्रभाव उनके सांसों में 24 घंटों के बाद भी बना रहता है, इनके बच्चों में सेकंड हैंड स्मोकिंग के कारण दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक का खतरा बहुत अधिक रहता है, साथ ही इनके घर के अन्य सदस्यों की हार्ट बीट असामान्य रहती है। सेकंड हैंड स्मोकिंग के कारण महिलाओं में बांझपन का भी खतरा बढ़ जाता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 50% लोग सेकंड हैंड स्मोकिंग के शिकार होते हैं। कोविड-19 का एक धनात्मक प्रभाव सेकंड हैंड स्मोकिंग के संदर्भ में यह होगा कि कोरोना के कारण लोग नियमित रूप से मास्क का प्रयोग करेंगे जिससे वे सेकंड हैंड स्मोकिंग के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं।
तंबाकू का दुष्प्रभाव:
- गुर्दे की बीमारी
- नेत्र रोग
- सांस की समस्याएं
- दांतों की समस्या
- मसूड़ों की समस्या
- आंतों में सूजन
- स्तंभन रोग
- त्वचा रोग
- विभिन्न प्रकार के कैंसर
- उच्च रक्तचाप
- दमा गर्भावस्था में तंबाकू सेवन का दुष्प्रभाव:
- रक्त स्राव
- समय से पूर्व बच्चे का जन्म
- मृत बच्चे का जन्म
- प्लेसेंटा संबंधी गड़बड़ी
- जन्म के समय बच्चे के अंगुलियों का टेढ़ा होना
- प्रसव में जटिलता
मां के तंबाकू सेवन का नवजात शिशु पर दुष्प्रभाव:
- एलर्जी
- रक्तचाप
- मोटापा
- असामान्य विकास
- फेफड़ों में समस्या
- अस्थमा इत्यादि
कोविड-19 व तंबाकू:
तंबाकू के उपयोग से श्वसन संबंधी अनेक बीमारियां होती हैं तथा तंबाकू सेवन से इन बीमारियों की गम्भिरता भी बढ़ जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं उनमें कोविड-19 का संक्रमण होने तथा इससे संबंधित बीमारियां अधिक एवं गंभीर होती हैं, अपेक्षाकृत उनके जो तंबाकू का सेवन नहीं करते हैं। कोविड-19 का संक्रमण प्राथमिक रूप से फेफड़े को हानि पहुंचाता है तंबाकू का उपयोग करने वालों का फेफड़ा अपेक्षाकृत कमजोर होता है जिससे उन्हें न केवल कोरोना के संक्रमण का खतरा अधिक होता है, साथ ही साथ फेफड़ा कोरोना वायरस व उससे जुड़ी बीमारियों से लड़ने में भी सक्षम नहीं होता है। तंबाकू गैर संचारी रोगों (हृदय रोग, कैंसर, स्वसन तंत्र की बीमारियां, उच्च रक्तचाप, मधुमेह इत्यादि) के लिए उच्च जोखिम कारक है इसीलिए तंबाकू उपयोग करने वालों को कोविड-19 के संक्रमण एवं इससे जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बहुत अधिक होता है। एक कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति तंबाकू का उपयोग करके यदि असुरक्षित रूप से इधर-उधर थूकता है तो इससे अन्य लोगों के भी कोविड-19 के संक्रमण का खतरा होता है क्योंकि तंबाकू चबाने से मुंह में अधिक लार बनता है जिसके कारण ऐसे व्यक्ति इधर-उधर थूकने के लिए बाध्य होते हैं। कोरोना संक्रमण के फैलने की संभावना अधिक होती है।
तम्बाकू के जोखिम कारक:
- माता-पिता या परिवार के सदस्यों द्वारा तंबाकू का सेवन करना।
- पालन-पोषण का अनुचित ढंग
- रोल मॉडल (शिक्षक, नेता, फिल्म अभिनेता एवं अन्य जिसे व्यक्ति सम्मानित समझता है) के द्वारा तंबाकू का सेवन।
- अभिभावकों व शिक्षकों द्वारा बच्चों के प्रति तिरस्कार पूर्ण व्यवहार (बच्चों को हमेशा डांटना फटकारना, उन्हें नीचा दिखाना, अपमानित करना, अच्छे कार्य करने पर भी प्रसंशा न करना)।
- भावनात्मक स्थिरता की कमी।
- समायोजन क्षमता की कमी।
- मानसिक विकार
- स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता की उच्च मनोकामना
- पहचान बनाने की त्रुटिपूर्ण अवधारणा
- समायोजन की क्षमता में कमी
- जोखिम लेने की उच्च भावना
- जागरूकता की कमी
- शिक्षा की कमी
- सामाजिक सांस्कृतिक प्रथाएं
- प्रचार माध्यम (फिल्मों तथा अन्य कार्यक्रमों में तंबाकू सेवन का सम्मानित ढंग से प्रस्तुतीकरण)
- तंबाकू का सस्ता एवं सर्व सुलभ होना
- अधिनायकवादी पेरेंटिंग
तंबाकू छोड़ने के उपाय:
- तंबाकू का प्रयोग करने वाला व्यक्ति तंबाकू छोड़ने का पक्का इरादा बनाएं। दृढ़ आत्मविश्वास किसी भी लत के छोड़ने का आधार होता है।
- अचानक से बंद न करके धीरे-धीरे तंबाकू की मात्रा में कमी करें। तंबाकू लेने की बारंबारता में कमी करें, यदि दिन भर में 10 बार खाते हैं तो उसकी आवृत्ति को घटा ते हुए 7, 5, 3, 2, 1 करते हुए बंद करना ज्यादा आसान होता है।
- तंबाकू छोड़ने में परिवार और मित्रों का सहयोग ले। जब तंबाकू लेने का मन करे तो परिवार के सदस्य व मित्रों से बातचीत करके इससे ध्यान हटाएं। परिवार के सदस्यों को तंबाकू छोड़ने वाले व्यक्ति का मनोबल बढ़ाते रहना चाहिए, उनसे बोलना चाहिए कि आप तंबाकू छोड़ सकते हैं, आप पहले भी गलत आदतों को अपने हौसले के बल पर सुधारा है। आप तम्बाकू छोड़ दें तो आपका व्यक्तित्व और निखर जाएगा।
- ऐसे लोगों से संपर्क न रखें जो स्वयं तंबाकू का सेवन करते हैं।
- तंबाकू की तलब महसूस होने पर मुंह में पिसी हुई काली मिर्च, लौंग, छोटी इलाची, टॉफी, च्यूइंगम का प्रयोग करें।
- अपने कमरे, घर एवं आसपास में तंबाकू कदापि न रखें
- गुनगुने पानी में नींबू का रस व शहद मिलाकर पीने से इसके तलब में कमी आती है
- तंबाकू से होने वाली हाँनियों एवं दुष्परिणामों की सूची बनाकर अपने कमरे में लगाएं तथा अपने मोबाइल स्क्रीन पर भी लगा सकते हैं।
तंबाकू छोड़ने से लाभ:-
- हृदय गति सामान्य हो जाता है
- छोड़ने के 1 घंटे के अंदर रक्त में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर सामान्य हो जाता है
- 2 से 12 घंटे में रक्त प्रवाह एवं फेफड़ों के कार्य करने के गुणवत्ता में सुधार होता है
- 1 से 9 माह के बीच खांसी और सांस फूलने की समस्या दूर हो जाती है
- 5 से 15 वर्ष में हार्ट अटैक का खतरा सामान्य व्यक्ति के बराबर हो जाता है
- 10 वर्ष में फेफड़े के कैंसर से मृत्यु दर आधा हो जाता है
- 15 वर्ष में हृदय रोगों का खतरा सामान्य लोगों इतना ही रह जाता है
उपचार:
उपरोक्त उपायों को यदि अपनाने में कठिनाई हो या इनको अपनाने के बाद भी तंबाकू सेवन को छोड़ने में सफलता नहीं मिलती है तो प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से परामर्श लेनाना चाहिए वह निम्नलिखित उपाय के द्वारा तंबाकू को छोड़ने में सहयोग प्रदान करते हैं :-
- व्यावहारिक मनोचिकित्सा
- मनोवैज्ञानिक शिक्षा
- अरुचि चिकित्सा
- सामाजिक समर्थन
- निकोटीन प्रतिस्थापना उपचार
व्यक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति, परिवार, मित्रों के सहयोग एवं समर्थन तथा मनोवैज्ञानिकों के उचित परामर्श एवं मनोचिकित्सा तथा आवश्यक होने पर चिकित्सक द्वारा प्रदत्त दवाई लेकर तंबाकू की लत पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकता है तो आए हम सब विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर यह संकल्प लें की ना तंबाकू का सेवन करेंगे और न दूसरों को करने देंगे ताकि विभिन्न तरह के सामाजिक पारिवारिक एवं स्वास्थ्य संबंधी विकारों को दूर कर भारत को विश्व गुरु बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें।
डॉ मनोज कुमार तिवारी
वरिष्ठ परामर्शदाता
ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आई एम एस, बी एच यू, वाराणसी