संकट में है वसुधा
आपदा है यह भारी
मानव धर्म सेवा पथ है
मत करो कालाबाजारी
संकट में ही परीक्षा होती
क्यों पशुवत हो जाते हो
मारके हक गरीबों का
कैसा धर्म निभाते हो
न रुपया न पैसा भैया
धैर्य धरम ही आचार है
राष्ट्रधर्म को ताक रखे जो
वह तो नही व्यापार है
बीत जाएगी यह काली निशा
फिर सुनहरा सबेरा आएगा
जिसको लुटा मुसीबत में तूने
वह तेरे पास ही नहीं आएगा
खत्म करो मुनाफा खोरी
संकल्प देश को बचाना है
एकता में बंधे भारत वासी
हमें करोना को हराना है
हिंदुस्तान सजाना है
हमे भारत को जीताना है।
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा