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कूकर कौआ लोमड़ी,ये होते बदजात।
लठ्ठ से इनको मारिए,तब ये सुनते बात।
तब ये सुनते बात,पाक है लोमड़ ऐसा।
छाती पर हो लात,बिलखता कूकर जैसा।
कह सुशील कविराय,मिटा दो पाक का हौआ।
घुसकर मारो आज,भगा दो कूकर कौआ।
सीमा पर सेना लड़े,घर उजाड़ें गद्दार।
कश्मीर में केसर जहर,कैसे होय उद्धार।
कैसे होय उद्धार,जहर है घर में अंदर।
सैनिक सीमा पास,ये घर में मस्त कलंदर।
कह सुशील कविराय,जहर इनको दो धीमा।
मन में लगी है आग,ख़त्म है सहन की सीमा।
पाकी सेवा में लगे,कुछ हैं वतन हराम।
भारत का खाएं पिएं,बनकर पाक गुलाम।
बनकर पाक गुलाम,लाज नहीं इन्हें आवे।
रटे पाक का नाम,भारत न इनको भावे।
कह सुशील कविराय,निकालो इनकी झाँकी।
कर दो काम तमाम,भगा दो ये ना पाकी।
(भारत-पाक संबंधों पर )
#सुशील शर्मा
परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा
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