पिया बिन सूना सावन लागे
बरखा की बूंदों में साजन लागे
मेघा ले जा संदेशा पिया के पास
अब तो बस है तुम्हरी ही आस
पिया बिन••••••••••••!
तुम मुझसे क्या बिछड़े सनम
बागों में बहार अब आते नहीं
मोर के नृत्य भी लुभाते नहीं
कलियाँ भी अब खिलती नहीं
पिया बिन••••••••••••!
तुमसे जुदा होकर अब तो
लगता है देह निष्प्राण सा
आँखो से ओझल प्रीत मेरे
बिखर गया तन और मन
पिया बिन••••••••••••!
भोर भी सुहानी लगती नहीं
चिड़ियाँ भी अब चहकती नहीं
आँखो में अब ख़्वाब पलते नहीं
रात को सपने भी आते नहीं
पिया बिन••••••••••••!
पनघट भी खाली दिखती है
बागों में झूले भी पड़ते नहीं
सपना भी कैद है यादों में तेरी
प्यार के गीत भी अब सुहाते नही
पिया बिन••••••••••••!
परिचय : अनिता मंदिलवार ‘सपना’ की जन्मतिथि-५ जनवरी एवं जन्मस्थान-बिहार शरीफ है। एम.एस-सी.(वनस्पति शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी-अंग्रेजी साहित्य),बी.एड. तथा पीजीडीसीए की शिक्षा प्राप्त श्रीमती अनिता संजीव सिन्हा का कार्यक्षेत्र- व्याख्याता( हाईस्कूल-अंबिकापुर,छग) है। सामाजिक क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देती हैं। गद्य और पद्य के तहत कविता,ग़ज़ल,नाटक,रुपक, कहानी, हाइकू आदि लिखती हैं। आपकॊ लेखन में काव्य अमृत,हिन्दी सागर सम्मान मिले हैं। कई समाचार पत्रों में कविताओं-लेख का प़काशन हुआ है। अन्य में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार एवं ‘मदर्स-डे’ प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार सहित क्विज़ स्पर्धा में प्रथम और दूरदर्शन से प्रसारित ‘भवदीय’ कार्यक्रम में सर्वश्रेषठ पत्र लेखन का पुरस्कार भी लिया है। आप कई साहित्यिकसंस्थाओं से भी संबद्ध हैं। साथ ही दूरदर्शन रायपुर से कविता पाठ, आकाशवाणी अंबिकापुर से कविता, कहानी, नाटक और आपके रुपक का भी प़सारण हुआ है। आपके लेखन का उद्देश्य-साहित्य सेवा,साहित्य के माध्यम से जागरुकता लाना और अपनी भावनाओं से समाज में हो रही कुप्रथाओं के विरुद्ध लेखन है। वर्तमान में आपका निवास छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर स्थित जरहागढ़ में है।