रिश्ते भी तो सारे ,
रंग बदलते हैं,
कभी प्यार कभी,
नफरत में रंगते हैं।।
अपने मतलब के सांचे में,
हरपल ये ढलते हैं।
रिश्ते भी गिरगिट सा,
रंग बदलते हैं।।
जब तक हो गरज इनकी,
फूलों से महकते हैं।
काम निकलने पर ये,
नागिन सा डसते हैं।।
बदले की आग में ये ,
हरपल ही जलते हैं।
नए नए ये हर दिन,
षड्यंत्र रचते हैं।।
रिश्तों के बाजार में,
इनके भाव बदलते हैं।
जरूरत के हिसाब से,
इनके बोल लगते हैं।।
कभी रोते हँसते हैं,
कभी डरते सहमते हैं।
ये रिश्ते भी हर रस में,
खूब रमते हैं।।
कभी प्यार मोहब्बत के,
मीठे गीत गाते हैं।
धोखा करने में ये,
जरा भी ना लजाते हैं।।
ग़लतफ़हमी की जमीं में ये,
शक के बीज बोते हैं।
बेबसी में रिश्तों को,
कभी हम ढोते हैं।।
मुश्किल घड़ी में ये,
कभी साथ निभाते हैं।
कभी बड़ी बेरहमी से,
दिल तोड़ जाते हैं।।
कभी आशा कभी विस्वास,
दिल में ये जगाते हैं।
मुसीबत में कुछ रिश्ते,
हमें धीरज बंधाते हैं।।
ये रिश्ते सारे ही,
सबक हमको सिखाते हैं।
जीवन का हर पाठ,
सदा हमको पढ़ाते हैं।।
स्वरचित
सपना (सo अo)
प्राoविo-उजीतीपुर
विoखo-भाग्यनगर
जनपद-औरैया