वन्दन गैरो का!

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सोशल मीडिया पर आज
खुशियां कम गम ज्यादा है
बहुत से अपने बिछड़ गए
बहुत को थोड़ा फायदा है
श्रद्धांजलि, सहानुभूति का
अब यही जरिया रह गया
मिलकर ढाढ़स बंधाने का
अरमान अधूरा रह गया
दिवंगत के पीछे कितने लोग
उसके कर्मो का पैमाना है
आज कान्धी तक नही मिल रहे
रूठ गया जैसे ज़माना है
सगे सम्बंधी रिश्तेदार तक
असहाय खड़े नज़र आ रहे
जिसका है वही हाथ लगाए
तरक़ीब अनेक सुझा रहे
कुछ ऐसे भी है जो गैर होकर
अपनत्व का फ़र्ज निभाते है
जान हथेली पर रखकर
दुसरो की जान बचाते है
धन्य ऐसे योद्धाओं को
जो फ़र्ज अपना निभा रहे
अपने घर की परवाह बिना
दुसरो का घर बचा रहे
अपनो से तो ये गैर अच्छे है
तन मन जिनके दोनों सच्चे है
इन गैरो का अभिनन्दन करे
नित वन्दन करें नित वन्दन करे।
#श्रीगोपाल नारसन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।