जन्म जयंती विशेष:
✍🏻 डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
यश का फैला हुआ घना वन यदि किसी औषधि को आमंत्रण देता है, कवि सम्मेलनों की आत्मा कहीं कोई पुकार देती है, शब्द जहाँ कहीं भी सुमधुर तान छेड़ते हैं, तो हाइकु और ग़ज़ल कभी एक जगह क़िस्सागोई करते हुए मिलें, कभी अध्यक्षीय आसंदी या कहें सदारत की कुर्सी कभी ख़ुद को गर्वित समझे तो यकीन जानना इन सभी के पीछे जो शख़्स दिखाई देते रहे, वो अपना नाम निश्चित तौर पर कुँअर बेचैन ही बताते थे।
कवि सम्मेलनों के हस्ताक्षरीय कवि, जिनके लिखे हुए पर, 25 से अधिक लोग शोध करके अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखने लग गए। ऐसी शख़्सियत संसार में बेशक़ कम पैदा होती है किंतु जब भी होती है, वो वृहद उद्देश्य और व्यक्तित्व की स्वामी होती है।
पूज्य गुरुदेव डॉ. कुँअर बेचैन साहब की जन्म जयंती का तीसरा वर्ष
यकीन तब भी नहीं होता था जब 29 अप्रैल 2021 को यह ख़बर आई कि डॉ. कुँअर बेचैन साहब ने देह त्याग कर हिन्दी कविता के आँगन को सूना कर दिया और यकीन आज भी नहीं होता कि डॉक्टर साहब हमारे साथ नहीं हैं। विधि की लिखी त्रासद में यह अंकित हो गया कि गुरुदेव का जन्मदिन नहीं जन्म जयंती मनानी होगी। आज हिन्दी कविता के स्वर्णाक्षर डॉ. कुँअर बेचैन साहब की जन्म जयंती है। विगत तीन वर्षों से मातृभाषा उन्नयन संस्थान व डॉ. कुँअर बेचैन स्मृति न्यास, ऑस्ट्रेलिया मिलकर इस दिन को कविता के उत्सव के दिन में मनाते आ रहे हैं।
वर्ष 2021 में डॉ. कुँअर बेचैन जी पर डाक टिकट का लोकार्पण मध्यप्रदेश की माननीय संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर जी द्वारा किया गया।
वर्ष 2022 में संस्थान द्वारा काव्य उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें हिन्दी कविता के नवउन्मेषी स्वरों ने कविता पाठ किया व उस दिन हिन्दी कवि श्री प्रदीप नवीन जी को भाषा सारथी सम्मान से सम्मानित किया गया।
आयोजन का यह तीसरा वर्ष 2023 और आज आयोजित ‘काव्य कुँअर’ में हिन्दी कवि सम्मेलन का शताब्दी वर्ष होने से मंचीय कविता की चौथी पीढ़ी के 20 कवियों को काव्य दीप सम्मान से सम्मानित किया जाएगा, साथ ही, वरिष्ठ कवयित्री डॉ. प्रेरणा ठाकरे जी को स्वर्णाक्षर सम्मान से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त होगा। और कविता पाठ होना भी स्वाभाविक है।
इन तीन वर्षों की यात्रा में बड़े भैया प्रगीत कुँअर जी, भाभी भावना कुँअर जी और मातृभाषा उन्नयन संस्थान के पूरे दल के सहयोग-सहभाग से काव्य ऋषि डॉ. कुँअर बेचैन जी का स्मरण करके नवपीढ़ी तक भी जागृति का संचरण हो रहा है।
आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि काव्य ऋषि डॉ. बेचैन साहब के व्यक्तित्व और कृतित्व को हिन्दी कविता प्रेमियों तक पहुँचाया जाए। डॉ. बेचैन जी के आशीष को आज भी उसी तरह अपने साथ पाते हैं, यही पुण्य कर्मों का प्रताप है।
#डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
राष्ट्रीय अध्यक्ष, मातृभाषा उन्नयन संस्थान, भारत