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जब लाईलाज थे तब संभल गए
अब ईलाज है फिर भी फ़िसल गए
इसमे कोई दोष नही महामारी का
दिवाला निकला है समझदारी का
छूट क्या मिली बेपरवाह हो गए
कोरोना को डरा खुद हव्वा हो गए
न मास्क पहना,न दो गज की दूरी
जिंदगी दांव पर लग गई पूरी पूरी
चुनाव के लालच में आंखे मूंद ली
लाखो की भीड़ में खामोशी ओढ़ ली
अब बढ़े मरीज तो हड़बड़ा रहे है
अपनी ही छाछ खट्टी बता रहे है।
#श्रीगोपाल नारसन
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