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मानव की सेवा से बड़ा
नहीं है कोई काम,
दुखियों के दुःख दूर करना
वहीं हैं चारों धाम।
सबको खुशियाँ बाँटो तुम
सबको सुख पहुँचाओ,
जाने-अनजाने में भी
किसी का दिल न तुम दुखाओ।
अपने सद-व्यवहार से
सबके तुम बन जाओ,
ईंट रेत के घर की बजाय
सबके दिल में घर बनाओ।
जैसा तुम आचरण करोगे
वैसा ही फल पाओगे,
सबको प्रेम देकर ही
तुम सबका प्रेम पाओगे।
तुम्हारे कारण किसी के भी
आँख में न आँसू आए,
चाहे वो अपने हों कितने
या हों फिर पराए।
आओ,आज हम मिलकर सब
खुशियों को बाँटते हैं,
जीवन के संघर्षों से
ग़मों को छांटते हैं…।
ग़मों को छांटते हैं…॥
#अनुभा मुंजारे’अनुपमा’
परिचय : अनुभा मुंजारे बिना किसी लेखन प्रशिक्षण के लम्बे समय से साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘अनुपमा’,जन्म तारीख २० नवम्बर १९६६ और जन्म स्थान सीहोर(मध्यप्रदेश)है।
शिक्षा में एमए(अर्थशास्त्र)तथा बीएड करने के बाद अभिरुचि साहित्य सृजन, संगीत,समाजसेवा और धार्मिक में बढ़ी ,तो ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की सैर करना भी काफी पसंद है। महादेव को इष्टदेव मानकर ही आप राजनीति भी करती हैं। आपका निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में डॉ.राममनोहर लोहिया चौक है। समझदारी की उम्र से साहित्य सृजन का शौक रखने वाली अनुभा जी को संगीत से भी गहरा लगाव है। बालाघाट नगर पालिका परिषद् की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष रह(दस वर्ष तक) चुकी हैं तो इनके पति बालाघाट जिले के प्रतिष्ठित राजनेता के रुप में तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं। शाला तथा महाविद्यालय में अनेक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर विजेता बनी हैं। नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए नगर विकास के अच्छे कार्य कराने पर राज्य शासन से पुरस्कार के रूप में विदेश यात्रा के लिए चयनित हुई थीं। अभी तक २०० से ज्यादा रचनाओं का सृजन किया है,जिनमें से ५० रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका है। लेखन की किसी भी विधा का ज्ञान नहीं होने पर आप मन के भावों को शब्दों का स्वरुप देने का प्रयास करती हैं।
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Mon Nov 13 , 2017
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