आर्थिक मजबूरी

0 0
Read Time1 Minute, 55 Second

दामिनी झोपड़ी से बाहर अपने कपड़े ठीक करते हुए निकल आई । उसने अपने बीमार पति के मुंह में एक लोटा पानी उड़ेला और पुनः झोपड़े के भीतर चली गई ।

बीमार धनुआ चारपाई पर पड़ा-पड़ा एकटक दामिनी को देखता रहा । हताश-निराश धनुआ शारीरिकरूप से मजबूर था, पिछले साल रात के अंधेरे में कोई रहीस धनुआ को टक्कर मार कर भाग गया था । उस हादसे में धनुआ की रीढ़ की हड्डी टूट गई और तब ही से बेचारा चारपाई पर पड़ा अपने दिन गुजार रहा है । घर की आर्थिक स्थिति बहुत अधिक खराब हो गई । धनुआ का पूरा परिवार भुखमरी के सागर में समा गया । दामिनी ने लकड़ी की टाल पर काम करना शुरू किया तो लगा कि अब घर में दो जून की रोटी बनने लगेगी । लेकिन यहां भी बुरा हुआ… दामिनी को एक दिन लकड़ी के टाल मालिक ने अपनी हवस का शिकार बना लिया । दामिनी ने लाख कोशिशें की न्याय पाने की, पुलिस थाने के चक्कर काट – काटकर वह थक गई । उसकी किसी ने न सुनी । कभी-कभी तो उसे लगा कि जिनसे वो न्याय की आशा रखती है, वे भी उसे नौंच खाने को तैयार हैं ।

रोटी की खातिर उसने अन्य जगह काम तलाशा, काम भी मिला, परंतु रावण हर जगह मौजूद थे ‌। धीरे-धीरे समय बीता… दामिनी ने अपनी आर्थिक मजबूरी से समझौता कर लिया ।

  • मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
    ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर,
    फतेहाबाद – आगरा

matruadmin

Next Post

नक्कारखाने में तूती की आवाज

Sun Feb 28 , 2021
लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ विकेन्द्रीकृत व्यवस्था की स्थापना से जुडा है। सत्ता से लेकर विकास के मापदण्डों तक यही सिध्दान्त लागू होना चाहिए ताकि समाज के आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति तक सुविधायें और संसाधनों की सीधी पहुंच हो सकेगी। लगभग 138 करोड नागरिकों वाले देश में संवैधानिक व्यवस्थायें निरंतर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।