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न दिल लगता है
न मन लगता है।
सच कहे तो
दिल में मेरे अब
कोई तो बस्ता है।
जिसे में ढूँढ़ रहा हूँ
और हो सकता है।
वो भी मुझे तलाश
रहे हो इस भीड़ में।
कभी तो मुलाकात
उन से होगी ही।
पर तब तक तो
दिलो में तड़प बनी रहेगी।।
सफर जिंदगी का अब
अकेले कटता नहीं।
कोई साथी हमें
अभी तक मिला नहीं।
कैसे गुजाराते है दिन
तन्हा रहकर आजकल।
ये दिल भी तो अब
मुझे सभालता नहीं।
काश कोई तो होगा
जो मुझे समझ सके।
पर दिल और मन
ये बात अब समझता नहीं।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई
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