रंग बदलती दुनियाँ

0 0
Read Time1 Minute, 44 Second

इस रंग बदलती दुनियाँ में,
क्या तेरा क्या मेरा है।
जो आज किसी का है वो,
कल तेरा या मेरा है।

दौलत शौहरत साथ ना जाए,
ना जाए तन बेचारा है।
पाप पुण्य की गठरी में बस,
पुण्यों का ही सहारा है।

अपने भी फिर साथ ना जाएँ,
साथ ना जाए अजीज कोई,
राजमहल भी काम ना आएँ
काम ना आए चीज़ कोई।

ये तन है माटी का पुतला,
माटी में मिल जाएगा।
ऊपर वाले की रहमत बिन,
ये ज़रा भी ना टिक पाएगा।

कुछ दिन की ये सांसे हैं बस,
कुछ दिन का ये जीवन है।
कुछ दिन का ये रोना धोना,
कुछ दिन की प्यार मोहब्बत है।

क्या राजा क्या रंक यहाँ पर,
सबकी एक ही बोली है।
पाए ना सम्मान कभी वो,
जिसकी नीयत डोली है।

अभिमान किसी का टिका नहीं,
टिका नहीं कभी सिंहासन।
चाहे हो पापी कंस , दशानन
चाहे हो फिर दुर्योधन।

होती नहीं है जिनकी हथेली,
किस्मत उनकी भी होती है।
जिसने किया दिन रात परिश्रम
उनकी किस्मत चमकी है।

कर ले अच्छे कर्म ओ यारा,
अंतकाल पछताए ना।
कभी किसी के सामने तू,
अपने कर्मों पे लजाए ना।

सदाचार और संस्कारों से ,
जीवन सरस बनाएं हम।
शिक्षा और ज्योति ज्ञान की ,
दिल में अपने जलाएं हम।

सपना (स. अ.)
प्रा. वि.-उजीतीपुर
वि.ख.- भाग्यनगर
जनपद- औरैया

matruadmin

Next Post

शहीद दिवस

Thu Feb 18 , 2021
नमन करते है उन शहीदों को, जिन्होंने अपनी जान थी गवाई | ब्रिटिश हकूमत में जिन्होंने, फांसी की सजा थी पाई || सच्चे सपूत थे भारत के वे , अपना सुख दुःख भूल गए | भारत की आजादी के लिए , फांसी के तख्ते पर झूल गए || नाम था […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।