इस रंग बदलती दुनियाँ में,
क्या तेरा क्या मेरा है।
जो आज किसी का है वो,
कल तेरा या मेरा है।
दौलत शौहरत साथ ना जाए,
ना जाए तन बेचारा है।
पाप पुण्य की गठरी में बस,
पुण्यों का ही सहारा है।
अपने भी फिर साथ ना जाएँ,
साथ ना जाए अजीज कोई,
राजमहल भी काम ना आएँ
काम ना आए चीज़ कोई।
ये तन है माटी का पुतला,
माटी में मिल जाएगा।
ऊपर वाले की रहमत बिन,
ये ज़रा भी ना टिक पाएगा।
कुछ दिन की ये सांसे हैं बस,
कुछ दिन का ये जीवन है।
कुछ दिन का ये रोना धोना,
कुछ दिन की प्यार मोहब्बत है।
क्या राजा क्या रंक यहाँ पर,
सबकी एक ही बोली है।
पाए ना सम्मान कभी वो,
जिसकी नीयत डोली है।
अभिमान किसी का टिका नहीं,
टिका नहीं कभी सिंहासन।
चाहे हो पापी कंस , दशानन
चाहे हो फिर दुर्योधन।
होती नहीं है जिनकी हथेली,
किस्मत उनकी भी होती है।
जिसने किया दिन रात परिश्रम
उनकी किस्मत चमकी है।
कर ले अच्छे कर्म ओ यारा,
अंतकाल पछताए ना।
कभी किसी के सामने तू,
अपने कर्मों पे लजाए ना।
सदाचार और संस्कारों से ,
जीवन सरस बनाएं हम।
शिक्षा और ज्योति ज्ञान की ,
दिल में अपने जलाएं हम।
सपना (स. अ.)
प्रा. वि.-उजीतीपुर
वि.ख.- भाग्यनगर
जनपद- औरैया