एक इंतजार ऐसा भी…

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कण-कण जोड़ के यह देह बनी
तिनका तिनका जोड़ के यह आशियाना
कुछ पल, महीना, बरस साथ रहे
फिर आई विदाई की बेला
जिसका ना कोई आदि, ना कोई अंत ।
वह छोटी छोटी सी बातें
वह खेलना, वह लड़ना
मेरा एक खिलौना चला गया
अपनी योग्यता को निखारने
छोड़ गया ढेर सारी बातें- यादें
उन बेजान सी चीजों में ।
मम्मी पापा करके आगे- पीछे घूमना
अचानक कहकर मां अच्छे से रहना
तुम भी अच्छे से रहना बेटा
औरचला जाना अपने कर्तव्य पथ को संवारने में
सूना हो गया मेरा आंगन
बस तेरी यादों का साथ ।
वह बचपन की अबूझ सी तेरी बातें
तेरी नादानी और मेरी घुड़की देना
फिर रूठना ,फिर मनाना ।
अभी गया ही नहीं तू कि तेरे आने का इंतजार
जब आएगा काबिल बन कर
रह पाऊंगी क्या तेरी मां बनकर ?
हम दूर जाने लगे बिट्टू
तेरी जवाबदारीओ के निर्वाहन हेतु
तेरे वह नन्हे कदम अब बड़े होने लगे
उंगली पकड़कर, गोद में रहने वाला
अब बिना किसी सहारे के खुद अकेला चलने लगा हमसे मार्गदर्शन लेने वाला
कभी-कभी हमारा मार्गदर्शक बनने लगा ।
एक छोटा सा शिशु
दुनिया का सामना करने के लिए
तैयार होने लगा ।
मेरा आंगन सुना हो गया
मेरी गोद अकेली रह गई
कैसे जिऊंगी एक -एक लम्हा
पहाड़ सा जिंदगी का
अपने ही कंधों पर कब तक
खुद को ढोती रहूंगी।
इन बेजान-सी चीजों से
कब तक बात करती रहूंगी
कब तक अपने शून्य को भर्ती रहूंगी ?
जीवन का लक्ष्य ही तुम हो
तुम्हारे रास्तों के कांटों को
फूलों में तब्दील करना है हमें
अपने संघर्ष की पराकाष्ठा को
सर्वश्रेष्ठ साबित करना है हमें ।

#स्मिता जैन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।